सभय बिलोके लोग सब

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सभय बिलोके लोग सब
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

सभय बिलोके लोग सब जानि जानकी भीरु।
हृदयँ न हरषु बिषादु कछु बोलेरघुबीरु॥ 270॥

भावार्थ-

तब राम सब लोगों को भयभीत देखकर और सीता को डरी हुई जानकर बोले - उनके हृदय में न कुछ हर्ष था न विषाद - ॥ 270॥


left|30px|link=मन पछिताति सीय महतारी|पीछे जाएँ सभय बिलोके लोग सब right|30px|link=नाथ संभुधनु भंजनिहारा|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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