करि चिक्कार घोर अति

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 09:59, 9 July 2016 by प्रभा तिवारी (talk | contribs)
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
करि चिक्कार घोर अति
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई, छंद और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
सभी (7) काण्ड क्रमश: बालकाण्ड‎, अयोध्या काण्ड‎, अरण्यकाण्ड, किष्किंधा काण्ड‎, सुंदरकाण्ड, लंकाकाण्ड‎, उत्तरकाण्ड
दोहा

करि चिक्कार घोर अति धावा बदनु पसारि।
गगन सिद्ध सुर त्रासित हा हा हेति पुकारि॥70॥

भावार्थ

वह बड़े जोर से चिग्घाड़ करके मुँह फैलाकर दौड़ा। आकाश में सिद्ध और देवता डरकर हा! हा! हा! इस प्रकार पुकारने लगे॥70॥



left|30px|link=काटें भुजा सोह खल कैसा|पीछे जाएँ करि चिक्कार घोर अति right|30px|link=सभय देव करुनानिधि जान्यो|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

पुस्तक- श्रीरामचरितमानस (लंकाकाण्ड) |प्रकाशक- गीताप्रेस, गोरखपुर |संकलन- भारत डिस्कवरी पुस्तकालय|पृष्ठ संख्या-434

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः