त्रिभंगी टीका

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 14:40, 6 July 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "विद्वान " to "विद्वान् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
  1. आस्रवत्रिभंगी,
  2. बंधत्रिभंगी,
  3. उदयत्रिभंगी और
  4. सत्त्वत्रिभंगी-इन 4 त्रिभंगियों को संकलित कर टीकाकार ने इन पर संस्कृत में टीका की है।
  • आस्रवत्रिभंगी 63 गाथा प्रमाण है।
  • इसके रचयिता श्रुतमुनि हैं।
  • बंधत्रिभंगी 44 गाथा प्रमाण है तथा उसके कर्ता नेमिचन्द शिष्य माधवचन्द्र हैं।
  • उदयत्रिभंगी 73 गाथा प्रमाण है और उसके निर्माता नेमिचन्द्र हैं।
  • सत्त्व त्रिभंगी 35 गाथा प्रमाण है और उसके कर्ता भी नेमिचन्द्र हैं।
  • इन चारों पर सोमदेव ने संस्कृत में व्याख्याएँ लिखी हैं।
  • ये सोमदेव, यशस्तित्वक चम्पू काव्य के कर्ता प्रसिद्ध सोमदेव से भिन्न और 16वीं, 17वीं शताब्दी के एक भट्टारक विद्वान् हैं।
  • इनकी संस्कृत भाषा बहुत स्खलित प्रतीत होती है। उन्होंने अपनी इस त्रिभंगी चतुष्टय पर लिखी गई टीका की भाषा को 'लाटीय भाषा' कहा है।
  • टीका में सोमदेव ने कर्मों के आस्रव, बंध, उदय और सत्वविषय का कथन किया है, जो सामान्य जिज्ञासुओं के लिए उपयोगी है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः