गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Revision as of 07:54, 7 November 2017 by व्यवस्थापन (talk | contribs) (Text replacement - "अर्थात " to "अर्थात् ")
(diff) ← Older revision | Latest revision (diff) | Newer revision → (diff)
Jump to navigation Jump to search
गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि मुनिहि हरिअरइ सूझ।
अयमय खाँड़ न ऊखमय अजहुँ न बूझ अबूझ॥ 275॥

भावार्थ-

विश्वामित्र ने हृदय में हँसकर कहा - मुनि को हरा-ही-हरा सूझ रहा है (अर्थात् सर्वत्र विजयी होने के कारण ये राम-लक्ष्मण को भी साधारण क्षत्रिय ही समझ रहे हैं), किंतु यह लौहमयी (केवल फौलाद की बनी हुई) खाँड़ (खाँड़ा - खड्ग) है, ऊख की (रस की) खाँड़ नहीं है (जो मुँह में लेते ही गल जाए। खेद है,) मुनि अब भी बेसमझ बने हुए हैं; इनके प्रभाव को नहीं समझ रहे हैं॥ 275॥


left|30px|link=उतर देत छोड़उँ बिनु मारें|पीछे जाएँ गाधिसूनु कह हृदयँ हँसि right|30px|link=कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः