क्षेत्रपाल

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क्षेत्रपाल एक देवता जो खेत अथवा भूमिखंड का रक्षक माना जाता है। गृहप्रवेश या शान्ति कर्मों के समय बलि देकर क्षेत्रपाल को प्रसन्न करने का विधान है। इसके लिये सिन्दूर, दीपक, दही, भात आदि सजाकर चौराहे पर रखने की भी प्रथा है। खेत-जोतने बोने से पहले क्षेत्रपाल की पूजा करने का भी विशेष रूप से विधान था। आज भी यह प्रथा प्रचलित है।[1]

  • बहुत कम लोग जानते हैं कि क्षेत्रपाल कौन होते हैं। जब वास्तु पूजा की जाती है तो उसके अंतर्गत क्षेत्रपाल की पूजा भी होती है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी क्षेत्रपाल के मंदिर मिल जाएंगे। खासकर राजस्थान और उत्तराखंड में क्षेत्रपाल के कई मंदिर मिलेंगे।[2]
  • क्षेत्रपाल क्षेत्र विशेष के एक देवता हैं जिनके अधीन उक्त क्षेत्र की आत्माएं रहती हैं। भारत के अधिकतर गांवों में भैरवनाथ, खेड़ापति (हनुमान), सतीमाई, कालीमाई, सीतलामाई और क्षेत्रपाल आदि के मंदिर होते हैं। यह सभी ग्राम देवता होते हैं और सभी के अलग-अलग कार्य माने गए हैं।
  • क्षेत्रपाल भी भगवान भैरवनाथ की तरह दिखाई देते हैं। संभवत: इसीलिए बहुत से लोग क्षेत्रपाल को कालभैरव का एक रूप मानते हैं। लोक जीवन में भगवान कालभैरव को क्षेत्रपाल बाबा, खेतल, खंडोवा, भैरू महाराज, भैरू बाबा आदि नामों से जाना जाता है। अनेक समाजों के ये कुल देवता हैं।
  • क्षे‍त्रपाल को 'खेतपाल' भी कहा जाता है। खेतपाल, जो कि खेत का स्वामी है।
  • दक्षिण भारत में एक देवता है जो मूल रूप से लोगों के खेत की रक्षा करता है। यह खेतों का तथा ग्राम सरहदों का छोटा देवता है। मान्यता अनुसार यह बहुत ही दयालु देवता है। जब अनाज बोया जाता है या नवान्न उत्पन्न होता है, तो उससे इसकी पूजा होती है, ताकि यह बोते समय ओले या जंगली जन्तुओं से उनका बचाव करे और भंडार में जब अन्न रखा जाए तो कीड़े और चूहों से उसकी रक्षा करें।
  • इसके अलावा यह न्याय करने वाला देवता भी है। यह गांव की भलाई चाहता है इसीलिए यह अच्छे को पुरस्कार तथा धूर्त को दंड देता है। इसे भेंट आदि चढ़ाई जाती है। कुछ जगहों पर क्षेत्रपाल को पशु बलि भी दी जाती है।
  • क्षेत्रपाल के लिए गांवों में या वास्तु पूजा के समय विशेष पूजा होती है। कहते हैं कि जिस भी क्षेत्र में रहने जा रहे हैं उस क्षेत्र का एक अलग ही क्षेत्रपाल होता है। अत: वहां रहने से पहले उसकी पूजा करके उसकी अनुमति से रहा जाता है ताकि किसी भी प्रकार का कोई संकट ना हो।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारतीय संस्कृति कोश |लेखक: लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय' |प्रकाशक: राजपाल एंड सन्ज, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 253 |
  2. क्षेत्रपाल कौन होता है, क्यों इसकी पूजा करना जरूरी है? (हिंदी) webdunia.com। अभिगमन तिथि: 28 जून, 2021।

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