Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 7"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
Line 48: Line 48:
 
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]'डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद' [[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे-से गाँव जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] ई. में [[राजेन्द्र प्रसाद]] का जन्म हुआ था। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्तियों में से एक थे। ज्ञान के प्रति लगाव होने के कारण ही राजेन्द्र प्रसाद धनी और दरिद्र दोनों के घरों में प्रकाश लाना चाहते थे। उन्होंने कई पुस्तकों की भी रचना की थी, जिनमें 'चम्पारन में सत्याग्रह' ([[1922]] ई.), 'इंडिया डिवाइडेड' ([[1946]] ई.), 'महात्मा गांधी एंड बिहार', 'सम रेमिनिसन्सेज' ([[1949]] ई.) आदि मुख्य थीं। सन [[1962]] में अवकाश प्राप्त करने पर राष्ट्र ने उन्हें '[[भारत रत्‍न]]' की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
 
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|100px|right|डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]'डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद' [[भारत]] के प्रथम [[राष्ट्रपति]] थे। [[बिहार]] प्रान्त के एक छोटे-से गाँव जीरादेयू में [[3 दिसम्बर]], [[1884]] ई. में [[राजेन्द्र प्रसाद]] का जन्म हुआ था। राजेन्द्र प्रसाद प्रतिभाशाली और विद्वान व्यक्तियों में से एक थे। ज्ञान के प्रति लगाव होने के कारण ही राजेन्द्र प्रसाद धनी और दरिद्र दोनों के घरों में प्रकाश लाना चाहते थे। उन्होंने कई पुस्तकों की भी रचना की थी, जिनमें 'चम्पारन में सत्याग्रह' ([[1922]] ई.), 'इंडिया डिवाइडेड' ([[1946]] ई.), 'महात्मा गांधी एंड बिहार', 'सम रेमिनिसन्सेज' ([[1949]] ई.) आदि मुख्य थीं। सन [[1962]] में अवकाश प्राप्त करने पर राष्ट्र ने उन्हें '[[भारत रत्‍न]]' की सर्वश्रेष्ठ उपाधि से सम्मानित किया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[डॉ. राजेंद्र प्रसाद]]
  
{निम्नलिखित में से कौन [[भक्ति आन्दोलन]] का प्रस्तावक नहीं था?
+
{[[महात्मा गाँधी]] के प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेनो कहिए' के रचयिता कौन थे?
 
|type="()"}
 
|type="()"}
+[[नागार्जुन]]
+
+[[नरसी मेहता]]
 +
-[[एकनाथ]]
 
-[[तुकाराम]]
 
-[[तुकाराम]]
-त्यागराज
+
-उपरोक्त में से कोई नहीं
-[[वल्लभाचार्य]]
+
||[[गुजराती]] साहित्य के आदि [[कवि]] [[नरसी मेहता|संत नरसी मेहता]] का जन्म 1414 ई. में [[जूनागढ़]] के निकट 'तलाजा' ग्राम में एक नागर [[ब्राह्मण]] परिवार में हुआ था। इनके [[माता]]-[[पिता]] का बचपन में ही देहांत हो गया था। इसलिए ये अपने चचेरे भाई के साथ रहते थे। एक दिन हरिजनों के साथ उनके संपर्क की बात सुनकर जब जूनागढ़ के राजा ने उनकी परीक्षा लेनी चाही तो कीर्तन में लीन मेहता के गले में अंतरिक्ष से फूलों की माला पड़ गई थी। नरसी मेहता ने बड़े मर्मस्पर्शी भजनों की रचनाएँ की थीं। [[महात्मा गाँधी]] का प्रिय भजन 'वैष्णव जन तो तेनो कहिए' उन्हीं का रचा हुआ है। [[भक्ति]], ज्ञान और वैराग्य के पदों के अतिरिक्त उनकी अन्य कई कृतियाँ भी प्रसिद्ध हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागार्जुन]]{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नरसी मेहता]]
||'नागार्जुन' [[कनिष्क]] के समय का विख्यात विद्वान तथा उच्च कोटि का दार्शनिक था। उसे कनिष्क के दरबार बहुत मान-सम्मान तथा उच्च स्थान प्राप्त था। वह पहला विद्वान था, जिसने [[महायान|महायान धर्म]] के बारे में लिखा। शून्यवाद का प्रतिपादन भी इसी विद्वान ने किया। [[नागार्जुन]] द्वारा लिखी गई रचनाओं में 'माध्यमिक सूत्र' तथा 'परजनापारमित्र' सूत्र रचनाएँ विशेष उल्लेखनीय हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागार्जुन]]{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नागार्जुन]]
 
 
 
  
 
{'[[बोध गया]]' में 'बोधि वृक्ष' अपने वंश की किस पीढ़ी का है?
 
{'[[बोध गया]]' में 'बोधि वृक्ष' अपने वंश की किस पीढ़ी का है?
Line 70: Line 69:
 
+[[राजगीर]]
 
+[[राजगीर]]
 
-[[पटना]]
 
-[[पटना]]
||'राजगीर' [[बिहार]] प्रांत में [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यह कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। [[राजगीर]] जिस समय [[मगध]] की राजधानी थी, उस समय इसे 'राजगृह' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर [[राजगृह]] तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध धर्म]] के ग्रंथों में प्राप्त होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजगीर]]
+
||'राजगीर' [[बिहार]] के [[नालंदा ज़िला|नालंदा ज़िले]] में स्थित एक शहर एवं अधिसूचित क्षेत्र है। यहाँ कभी [[मगध साम्राज्य]] की राजधानी हुआ करती थी, जिससे बाद में [[मौर्य साम्राज्य]] का उदय हुआ। [[राजगीर]] जिस समय [[मगध]] की राजधानी थी, उस समय इसे 'राजगृह' के नाम से जाना जाता था। [[मथुरा]] से लेकर [[राजगृह]] तक [[महाजनपद]] का सुन्दर वर्णन [[बौद्ध धर्म]] के ग्रंथों में प्राप्त होता है। माना जाता है कि भगवान [[महावीर|महावीर स्वामी]] ने [[वर्षा ऋतु]] में राजगृह में सर्वाधिक समय व्यतीत किया था। यहाँ [[प्रथम बौद्ध संगीति]] का आयोजन हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राजगीर]]
  
 
{'नव नालन्दा महाविहार' किसके लिये विख्यात है?
 
{'नव नालन्दा महाविहार' किसके लिये विख्यात है?
Line 78: Line 77:
 
-पालि अनुसंधान संस्थान
 
-पालि अनुसंधान संस्थान
 
-संग्रहालय
 
-संग्रहालय
||चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने [[हर्षवर्धन]] के शासन काल में [[भारत]] की यात्र की थी। उसने अपनी यात्रा 29 वर्ष की अवस्था में 629 ई. में प्रारम्भ की थी। यात्रा के दौरान ताशकन्द, [[समरकन्द]] होता हुआ ह्वेन त्सांग 630 ई. में 'चन्द्र की भूमि' (भारत) के [[गांधार]] प्रदेश पहुँचा। गांधार पहुंचने के बाद ह्वेन त्सांग ने [[कश्मीर]], [[पंजाब]], [[कपिलवस्तु]], [[बनारस]], [[गया]] एवं [[कुशीनगर]] की भी यात्रा की। [[कन्नौज]] के राजा हर्षवर्धन के निमंत्रण पर वह उसके राज्य में लगभग आठ वर्ष (635-643 ई.) तक रहा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ह्वेन त्सांग]]
+
||चीनी यात्री [[ह्वेन त्सांग]] ने [[हर्षवर्धन]] के शासन काल में [[भारत]] की यात्र की थी। उसने अपनी यात्रा 29 वर्ष की अवस्था में 629 ई. में प्रारम्भ की थी। यात्रा के दौरान ताशकन्द, [[समरकन्द]] होता हुआ ह्वेन त्सांग 630 ई. में 'चन्द्र की भूमि' ([[भारत]]) के [[गांधार]] प्रदेश पहुँचा। गांधार पहुँचने के बाद ह्वेन त्सांग ने [[कश्मीर]], [[पंजाब]], [[कपिलवस्तु]], [[बनारस]], [[गया]] एवं [[कुशीनगर]] की भी यात्रा की। [[कन्नौज]] के राजा हर्षवर्धन के निमंत्रण पर वह उसके राज्य में लगभग आठ वर्ष (635-643 ई.) तक रहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[ह्वेन त्सांग]]
  
 
{[[अशोक]] के [[ब्राह्मी]] [[अभिलेख|अभिलेखों]] को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?
 
{[[अशोक]] के [[ब्राह्मी]] [[अभिलेख|अभिलेखों]] को सर्वप्रथम किसने पढ़ा था?
Line 86: Line 85:
 
-एच.डी. साँकलिया
 
-एच.डी. साँकलिया
 
-वी.एन. मिश्रा
 
-वी.एन. मिश्रा
 +
||[[चित्र:Brahmi Lipi-3.jpg|120px|right|रुम्मिनदेई के अशोक-स्तंभ पर ख़ुदा हुआ लेख]][[मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके [[अभिलेख|अभिलेखों]] से मिलती है। यह माना जाता है कि अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा [[ईरान]] के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये [[ब्राह्मी लिपि|ब्राह्मी]], [[खरोष्ठी लिपि|खरोष्ठी]] और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। सम्राट अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखित सन्देश को सर्वप्रथम एलेग्जेंडर कनिंघम के सहकर्मी जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। [[मौर्य काल]] की शिलाओं तथा स्तंभों पर उत्कीर्ण लेखों के अनुशीलन से हम इस निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि [[अशोक का धम्म]] व्यावहारिक फलमूलक (अर्थात फल को दृष्टि में रखने वाला) और अत्यधिक मानवीय था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अशोक के शिलालेख]]
 
</quiz>
 
</quiz>
 
|}
 
|}
Line 91: Line 91:
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{इतिहास सामान्य ज्ञान}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
 
{{सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी}}
{{प्रचार}}
 
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]
 
[[Category:सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी]]

Revision as of 12:21, 1 September 2013

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

1 nimnalikhit mean se kaun-sa shasak 'prithviraj chauhan' ke nam se prasiddh hai?

prithviraj pratham
prithviraj dvitiy
prithviraj tritiy
uparyukt mean se koee nahian

2 chittau d ke 'kirti stambh' ka nirman kisane karavaya tha?

rana saanga
rana kumbha
rana pratap
rana uday sianh

3 nimnalikhit yugmoan mean se kaun-sa sahi sumelit nahian hai?

babar - khanava ka yuddh
humayooan - chausa-khanava ka yuddh
akabar- haldighati ka yuddh
jahaangir- balkh ka yuddh

4 nimnalikhit sangathanoan mean se kisane 'shuddhi andolan' ka samarthan kiya?

ary samaj
dev samaj
brahm samaj
prarthana samaj

5 'indiya divaided' nam ki pustak ke lekhak kaun the?

maulana abul kalam azad
d aau. rajeandr prasad
narendr dev
aruna asaf ali

6 mahatma gaandhi ke priy bhajan 'vaishnav jan to teno kahie' ke rachayita kaun the?

narasi mehata
ekanath
tukaram
uparokt mean se koee nahian

7 'bodh gaya' mean 'bodhi vriksh' apane vansh ki kis pidhi ka hai?

tritiy
chaturth
pancham
shashtham

8 vishv ka sabase ooancha kaha jane vala 'vishvashaanti stoop' bihar mean kahaan hai?

vaishali
nalanda
rajagir
patana

9 'nav nalanda mahavihar' kisake liye vikhyat hai?

hven tsaang ka smarak
mahavir ka janm-sthan
pali anusandhan sansthan
sangrahalay

10 ashok ke brahmi abhilekhoan ko sarvapratham kisane padha tha?

es.ar. goyal
priansep
ech.di. saankaliya
vi.en. mishra

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan