Difference between revisions of "पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य"
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− | '''पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य''' [[गुजरात|गुजरात राज्य | + | '''पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य''' [[गुजरात]] के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है, जो [[डांग ज़िला|डांग ज़िले]] में स्थित है। यह गुजरात राज्य का सबसे घना और सर्वाधिक [[वर्षा]] (2500 मिमी तक) वाला स्थान है। सूर्यास्त के समय 160 वर्ग कि.मी. के विस्तार में फैली छोटी-छोटी चोटियां, सागौन और [[बाँस]], वांसदा में रहने वाले डांगी आदिवासियों का [[संगीत]] और उनके [[ढोल|ढोलों]] के स्वर मन को आनन्द से भर देते हैं। यहाँ 'महाल' नामक मुख्य गांव पूर्णा नदी के किनारे अभ्यारण्य के मध्य में ही स्थित है, जहां एक फॉरेस्ट रेस्ट हाउस भी है। दक्षिण गुजरात में केवल पूर्णा एवं वांसदा ही सुरक्षित जंगली क्षेत्र में आते हैं। |
==विस्तार तथा मान्यता== | ==विस्तार तथा मान्यता== | ||
दक्षिण गुजरात के डांग ज़िले के के उत्तरी विस्तार में स्थित यह अभ्यारण्य जंगल का ही एक हिस्सा है। 160.8 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र जंगल के लिए आरक्षित है, जिसे [[जुलाई]], [[1990]] में एक अभयारण्य की मान्यता प्रदान की गई थी। | दक्षिण गुजरात के डांग ज़िले के के उत्तरी विस्तार में स्थित यह अभ्यारण्य जंगल का ही एक हिस्सा है। 160.8 वर्ग कि.मी. का क्षेत्र जंगल के लिए आरक्षित है, जिसे [[जुलाई]], [[1990]] में एक अभयारण्य की मान्यता प्रदान की गई थी। | ||
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पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य एक ऐसा अभ्यारण्य है, जो अपने मोटे बाँसों से आगन्तुकों को अचम्भित कर देता है। लोगों को यह देखकर आश्चर्य होता है कि [[पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी|पश्चिमी घाट]] के विस्तार में ऐसे प्राचीन जंगल भी हैं। पक्षियों के शौकीन पर्यावरणीय पर्यटक के लिए बाँसों वाले नम पर्णपाती वन घूमने की सबसे अच्छी जगह है। | पूर्णा वन्यजीव अभयारण्य एक ऐसा अभ्यारण्य है, जो अपने मोटे बाँसों से आगन्तुकों को अचम्भित कर देता है। लोगों को यह देखकर आश्चर्य होता है कि [[पश्चिमी घाट पर्वत श्रेणी|पश्चिमी घाट]] के विस्तार में ऐसे प्राचीन जंगल भी हैं। पक्षियों के शौकीन पर्यावरणीय पर्यटक के लिए बाँसों वाले नम पर्णपाती वन घूमने की सबसे अच्छी जगह है। | ||
==पारिस्थितिक स्थिरता== | ==पारिस्थितिक स्थिरता== | ||
− | पूर्णा अभ्यारण्य [[गुजरात]] के पश्चिमी घाट में नम पर्णपाती वनों का हिस्सा है और यह बेहद उत्कृष्ट पर्यावरण की अनुभूति कराता है। दक्षिण गुजरात में विविध जैव संसाधनों के संरक्षण के लिए केवल यह अभ्यारण्य और 'वांसदा राष्ट्रीय उद्यान' ही सुरक्षित क्षेत्र हैं। भारत में [[मुग़ल काल]] के दौरान इस जंगल में जंगली भैंसे, [[हाथी]], आलसी भालू और गैंडे घूमते नजर आते थे। इस इलाके के जंगल स्थानीय आदिवासियों की भौतिक व सांस्कृतिक | + | पूर्णा अभ्यारण्य [[गुजरात]] के पश्चिमी घाट में नम पर्णपाती वनों का हिस्सा है और यह बेहद उत्कृष्ट पर्यावरण की अनुभूति कराता है। दक्षिण गुजरात में विविध जैव संसाधनों के संरक्षण के लिए केवल यह अभ्यारण्य और 'वांसदा राष्ट्रीय उद्यान' ही सुरक्षित क्षेत्र हैं। भारत में [[मुग़ल काल]] के दौरान इस जंगल में जंगली भैंसे, [[हाथी]], आलसी भालू और गैंडे घूमते नजर आते थे। इस इलाके के जंगल स्थानीय आदिवासियों की भौतिक व सांस्कृतिक ज़रूरतें पूरी करते हैं और क्षेत्र की पारिस्थितिक स्थिरता को बनाए रखते हैं। |
====पौधों की प्रजातियाँ==== | ====पौधों की प्रजातियाँ==== | ||
इस अभयारण्य में घास की प्रचुरता वाले पौधों की तकरीबन 700 प्रजातियां हैं और चौड़े पत्ते वाले पौधों की भी बहुलता है। विभिन्न वृक्षों, सागौन के वनों और बाँसों ये यह जंगल भरा पड़ा है। [[बाँस|बाँसों]] की सघनता के कारण यहां के अधिकांश भाग में मोटी मध्यम आकार वाली मंजिलें बनी हुई हैं। राज्य के सर्वश्रेष्ठ वनों में से एक 'महाल' जंगल आरक्षित विस्तार के अन्तर्गत आता है। | इस अभयारण्य में घास की प्रचुरता वाले पौधों की तकरीबन 700 प्रजातियां हैं और चौड़े पत्ते वाले पौधों की भी बहुलता है। विभिन्न वृक्षों, सागौन के वनों और बाँसों ये यह जंगल भरा पड़ा है। [[बाँस|बाँसों]] की सघनता के कारण यहां के अधिकांश भाग में मोटी मध्यम आकार वाली मंजिलें बनी हुई हैं। राज्य के सर्वश्रेष्ठ वनों में से एक 'महाल' जंगल आरक्षित विस्तार के अन्तर्गत आता है। |
Latest revision as of 10:52, 2 January 2018
poorna vanyajiv abhayarany gujarat ke pramukh paryatan sthaloan mean se ek hai, jo daang zile mean sthit hai. yah gujarat rajhy ka sabase ghana aur sarvadhik varsha (2500 mimi tak) vala sthan hai. sooryasht ke samay 160 varg ki.mi. ke vishtar mean phaili chhoti-chhoti chotiyaan, sagaun aur baans, vaansada mean rahane vale daangi adivasiyoan ka sangit aur unake dholoan ke shvar man ko anand se bhar dete haian. yahaan 'mahal' namak mukhhy gaanv poorna nadi ke kinare abhhyaranhy ke madhhy mean hi sthit hai, jahaan ek ph aauresht resht haus bhi hai. dakshin gujarat mean keval poorna evan vaansada hi surakshit jangali kshetr mean ate haian.
vistar tatha manyata
dakshin gujarat ke daang zile ke ke uthtari vistar mean sthit yah abhhyaranhy jangal ka hi ek hissa hai. 160.8 varg ki.mi. ka kshetr jangal ke lie arakshit hai, jise julaee, 1990 mean ek abhayarany ki manhyata pradan ki gee thi.
baans ka van
poorna vanyajiv abhayarany ek aisa abhhyaranhy hai, jo apane mote baansoan se agantukoan ko achambhit kar deta hai. logoan ko yah dekhakar ashhchary hota hai ki pashchimi ghat ke vishtar mean aise prachin jangal bhi haian. pakshiyoan ke shaukin paryavaraniy paryatak ke lie baansoan vale nam parnapati van ghoomane ki sabase achhchhi jagah hai.
paristhitik sthirata
poorna abhhyaranhy gujarat ke pashchimi ghat mean nam parnapati vanoan ka hishsa hai aur yah behad uthkrishht paryavaran ki anubhooti karata hai. dakshin gujarat mean vividh jaiv sansadhanoan ke sanrakshan ke lie keval yah abhhyaranhy aur 'vaansada rashhtriy udyan' hi surakshit kshetr haian. bharat mean mugal kal ke dauran is jangal mean jangali bhaianse, hathi, alasi bhaloo aur gaiande ghoomate najar ate the. is ilake ke jangal shthaniy adivasiyoan ki bhautik v saanshkritik zarooratean poori karate haian aur kshetr ki paristhitik sthirata ko banae rakhate haian.
paudhoan ki prajatiyaan
is abhayarany mean ghas ki prachurata vale paudhoan ki takariban 700 prajatiyaan haian aur chau de pathte vale paudhoan ki bhi bahulata hai. vibhinhn vrikshoan, sagaun ke vanoan aur baansoan ye yah jangal bhara p da hai. baansoan ki saghanata ke karan yahaan ke adhikaansh bhag mean moti madhhyam akar vali manjilean bani huee haian. rajhy ke sarvashreshhth vanoan mean se ek 'mahal' jangal arakshit vistar ke anhtargat ata hai.
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tika tippani aur sandarbh
bahari k diyaan
sanbandhit lekh