Difference between revisions of "स्रुघना"

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'''स्रुघना / श्रुघ्न'''  
 
'''स्रुघना / श्रुघ्न'''  
*[[उत्तर प्रदेश]] में [[यमुना नदी]] के पश्चिम तट पर स्रुघना [[सतलुज नदी]]-यमुना विभाजक में जगाधरी के निकट स्थित है।  
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'''स्रुघना''' [[उत्तर प्रदेश]] में [[यमुना नदी]] के पश्चिम तट पर [[सतलुज नदी|सतलुज]]-यमुना विभाजक में जगाधरी के निकट स्थित है।  
 
*यह [[थानेश्वर]] के उत्तर-पूर्व में 38 किमी. दूरी पर स्थित है। [[कनिंघम]] के अनुसार इस स्थान का महत्त्व इस तथ्य से दिखाया जा सकता है कि यह स्थान [[गंगा]] के दोआब से मिरात [[सहारनपुर]] तथा [[अम्बाला]] से होते हुए ऊपर [[पंजाब]] की ओर जाने वाले राष्ट्रीय मार्ग पर अवस्थित है एवं यमुना के मार्ग पर नियंत्रण रखता है।  
 
*यह [[थानेश्वर]] के उत्तर-पूर्व में 38 किमी. दूरी पर स्थित है। [[कनिंघम]] के अनुसार इस स्थान का महत्त्व इस तथ्य से दिखाया जा सकता है कि यह स्थान [[गंगा]] के दोआब से मिरात [[सहारनपुर]] तथा [[अम्बाला]] से होते हुए ऊपर [[पंजाब]] की ओर जाने वाले राष्ट्रीय मार्ग पर अवस्थित है एवं यमुना के मार्ग पर नियंत्रण रखता है।  
*[[महमूद ग़ज़नवी]] [[कन्नौज]] पर आक्रमण के पश्चात स्रुघना के मार्ग से वापस गया तथा। [[तैमूर]] भी [[हरिद्वार]] से लूट-पाट के अपने अभियान के पश्चात इसी मार्ग से वापस गया था। तथा [[बाबर]] ने [[दिल्ली]] विजय के समय इसी मार्ग का अनुसरण किया था।  
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*[[महमूद ग़ज़नवी]] [[कन्नौज]] पर आक्रमण के पश्चात स्रुघना के मार्ग से वापस गया तथा [[तैमूर]] भी [[हरिद्वार]] से लूट-पाट के अपने अभियान के पश्चात इसी मार्ग से वापस गया था। तथा [[बाबर]] ने [[दिल्ली]] विजय के समय इसी मार्ग का अनुसरण किया था।  
 
*स्रुघना से 500 ई. पू. से लेकर 1000 ई. काल की मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं।  
 
*स्रुघना से 500 ई. पू. से लेकर 1000 ई. काल की मुद्राएँ प्राप्त हुई हैं।  
 
*स्रुघना से बड़ी-बड़ी ईंटों जो 9.5 से 10.5 लम्बी तथा 2.5 से 3.5 मोटी हैं, तथा इन ईंटों के यहाँ अनेक टीले मिले हैं।  
 
*स्रुघना से बड़ी-बड़ी ईंटों जो 9.5 से 10.5 लम्बी तथा 2.5 से 3.5 मोटी हैं, तथा इन ईंटों के यहाँ अनेक टीले मिले हैं।  
 
*स्रुघना [[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] हैं। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] थानेश्वर छोड़ने के पश्चात स्रुघना पहुँचा था।  
 
*स्रुघना [[गुप्त काल|गुप्तकालीन]] हैं। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री [[युवानच्वांग]] थानेश्वर छोड़ने के पश्चात स्रुघना पहुँचा था।  
 
*युवानच्वांग ने स्रुघना को '''सु- लु- किन- ना''' कहा है।  
 
*युवानच्वांग ने स्रुघना को '''सु- लु- किन- ना''' कहा है।  
*युवानच्वांग के अनुसार स्रुघना साढ़े तीन मील के दायरे में फैला हुआ था तथा किसी राज्य की राजधानी था।  
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*युवानच्वांग के अनुसार स्रुघना साढ़े तीन मील के दायरे में फैला हुआ था तथा किसी [[राज्य]] की राजधानी था।  
 
*स्रुघना [[बौद्ध]] तथा[[ ब्राह्मण]] शिक्षा का केन्द्र था।  
 
*स्रुघना [[बौद्ध]] तथा[[ ब्राह्मण]] शिक्षा का केन्द्र था।  
*युवानच्वांग कहता है कि इस राजधानी का कुछ भाग उसके समय खण्डहर बन गया था। लेकिन यहाँ से प्राप्त सिक्कों के आधार पर कनिंघम का कहना है कि इस नगर का पतन [[मुस्लिम]] शासकों द्वारा विजय प्राप्त करने के समय हुआ था।  
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*युवानच्वांग कहता है कि इस राजधानी का कुछ भाग उसके समय खण्डहर बन गया था। लेकिन यहाँ से प्राप्त सिक्कों के आधार पर [[कनिंघम]] का कहना है कि इस नगर का पतन [[मुस्लिम]] शासकों द्वारा विजय प्राप्त करने के समय हुआ था।  
 
*गुप्तकाल में इस स्थान के बौद्ध भिक्षुओं की ख्याति दूर-दूर तक थी।  
 
*गुप्तकाल में इस स्थान के बौद्ध भिक्षुओं की ख्याति दूर-दूर तक थी।  
 
*[[दर्शन शास्त्र]] पढ़ने के लिए देश के अनेक भागों से विद्यार्थी स्रुघना आते थे।  
 
*[[दर्शन शास्त्र]] पढ़ने के लिए देश के अनेक भागों से विद्यार्थी स्रुघना आते थे।  

Revision as of 07:46, 8 October 2011

srughana / shrughn srughana uttar pradesh mean yamuna nadi ke pashchim tat par sataluj-yamuna vibhajak mean jagadhari ke nikat sthit hai.

  • yah thaneshvar ke uttar-poorv mean 38 kimi. doori par sthit hai. kaniangham ke anusar is sthan ka mahattv is tathy se dikhaya ja sakata hai ki yah sthan ganga ke doab se mirat saharanapur tatha ambala se hote hue oopar panjab ki or jane vale rashtriy marg par avasthit hai evan yamuna ke marg par niyantran rakhata hai.
  • mahamood gazanavi kannauj par akraman ke pashchat srughana ke marg se vapas gaya tatha taimoor bhi haridvar se loot-pat ke apane abhiyan ke pashchat isi marg se vapas gaya tha. tatha babar ne dilli vijay ke samay isi marg ka anusaran kiya tha.
  • srughana se 500 ee. poo. se lekar 1000 ee. kal ki mudraean prapt huee haian.
  • srughana se b di-b di eeantoan jo 9.5 se 10.5 lambi tatha 2.5 se 3.5 moti haian, tatha in eeantoan ke yahaan anek tile mile haian.
  • srughana guptakalin haian. satavian shatabdi mean chini yatri yuvanachvaang thaneshvar chho dane ke pashchat srughana pahuancha tha.
  • yuvanachvaang ne srughana ko su- lu- kin- na kaha hai.
  • yuvanachvaang ke anusar srughana sadhe tin mil ke dayare mean phaila hua tha tatha kisi rajy ki rajadhani tha.
  • srughana bauddh tathabrahman shiksha ka kendr tha.
  • yuvanachvaang kahata hai ki is rajadhani ka kuchh bhag usake samay khandahar ban gaya tha. lekin yahaan se prapt sikkoan ke adhar par kaniangham ka kahana hai ki is nagar ka patan muslim shasakoan dvara vijay prapt karane ke samay hua tha.
  • guptakal mean is sthan ke bauddh bhikshuoan ki khyati door-door tak thi.
  • darshan shastr padhane ke lie desh ke anek bhagoan se vidyarthi srughana ate the.
  • chini yatri yuvanachvaang yahaan ke bauddh vihar mean kee mas tak nirantar thaharakar jayagupt namak vidvan ke pas adhyayan karata raha tha.
  • vartaman samay mean yahaan sugh nam ka gaanv yamuna ke nikat v jagadhari booriya ke bich mean prachin khandaharoan ke bich basa hai.



panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh


bahari k diyaan

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