Difference between revisions of "इतिहास सामान्य ज्ञान 10"

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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-[[अथर्ववेद]]  
 
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||‘साम‘ शब्द का अर्थ है ‘गान‘। सामवेद में संकलित मंत्रों को [[देवता|देवताओं]] की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं। जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय ‘उदगाता‘ करते थे।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सामवेद]]
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||'साम' शब्द का अर्थ है 'गान'। [[सामवेद]] में संकलित मंत्रों को देवताओं की स्तुति के समय गाया जाता था। सामवेद में कुल 1875 ऋचायें हैं, जिनमें 75 से अतिरिक्त शेष [[ऋग्वेद]] से ली गयी हैं। इन ऋचाओं का गान सोमयज्ञ के समय 'उदगाता' करते थे। देवता विषयक विवेचन की दृष्ठि से सामवेद का प्रमुख [[देवता]] 'सविता' या 'सूर्य' है। इसमें मुख्यतः सूर्य की स्तुति के [[मंत्र]] हैं, किन्तु [[इंद्र]], [[सोम देव|सोम]] आदि का भी इसमें पर्याप्त वर्णन है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सामवेद]]
  
{निम्नांकित में कौन 'प्रस्थानत्रयी' में शामिल नहीं है?  
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{निम्नलिखित में से 'कर्म का सिद्धांत' किससे संबंधित है?
 
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+[[भागवत पुराण|भागवत]]  
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-[[न्याय दर्शन|न्याय]] से
-[[गीता|भगवद्गीता]]  
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+[[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]] से
-[[ब्रह्मसूत्र]]  
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-[[वेदांत]] से
-[[उपनिषद]]  
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-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] से
||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|100px|भागवत पुराण, [[गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ]] इस कलिकाल में 'श्रीमद्भागवत पुराण' हिन्दू समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय धर्म और संस्कृति का विश्वकोश कहना अधिक उचित होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण [[हिन्दू]] समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भागवत पुराण]]
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||'मीमांसा' शब्द का अर्थ किसी वस्तु के स्वरूप का यथार्थ वर्णन है। [[वेद]] के मुख्यत: दो भाग हैं- प्रथम भाग में 'कर्मकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की प्रवृत्ति होती है। द्वितीय भाग में 'ज्ञानकाण्ड' बताया गया है, जिससे अधिकारी मनुष्य की निवृत्ति होती है। कर्म तथा ज्ञान के विषय में कर्ममीमांसा और वेदान्त की दृष्टि में अन्तर है। [[वेदान्त]] के अनुसार कर्मत्याग के बाद ही आत्मज्ञान संभव है। कर्म तो केवल चित्तशुद्धि का साधन है। मोक्ष की प्राप्ति तो ज्ञान से ही हो सकती है, परन्तु कर्ममीमांसा के अनुसार मुमुक्षुजन को भी कर्म करना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]]
 
 
{कर्म का सिद्धांत संबंधित है?
 
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-[[न्याय दर्शन|न्याय]] से
 
+मीमांसा से
 
-[[वेदांत]] से
 
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]] से
 
  
{'[[चरक संहिता]]' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?  
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{'[[चरक संहिता]]' नामक पुस्तक किस विषय से संबंधित है?
 
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-[[अर्थशास्त्र]]  
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-[[अर्थशास्त्र]]
-[[राजनीति]]  
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-[[राजनीति]]
+चिकित्सा  
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+चिकित्सा
-[[धर्म]]  
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-[[धर्म]]
  
{[[यज्ञ]] संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है?
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{[[यज्ञ]] संबंधी विधि-विधानों का पता चलता है-
 
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-[[ऋग्वेद]] से  
 
-[[ऋग्वेद]] से  
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-[[ब्राह्मण]] ग्रंथों से  
 
-[[ब्राह्मण]] ग्रंथों से  
 
+[[यजुर्वेद]] से  
 
+[[यजुर्वेद]] से  
||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]] 'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। यर्जुवेद मूलतः कर्मकाण्ड ग्रन्थ है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यो की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] 'सप्त सैंधव' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक पूजा के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[यजुर्वेद]]
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||[[चित्र:Yajurveda.jpg|right|100px|यजुर्वेद का आवरण पृष्ठ]]'यजुष' शब्द का अर्थ है- '[[यज्ञ]]'। [[यर्जुवेद]] मूलतः कर्मकाण्ड [[ग्रन्थ]] है। इसकी रचना [[कुरुक्षेत्र]] में मानी जाती है। यजुर्वेद में आर्यों की धार्मिक एवं सामाजिक जीवन की झांकी मिलती है। इस ग्रन्थ से पता चलता है कि [[आर्य]] '[[सप्त सिंघव]]' से आगे बढ़ गए थे और वे प्राकृतिक [[पूजा]] के प्रति उदासीन होने लगे थे। यर्जुवेद के मंत्रों का उच्चारण 'अध्वुर्य' नामक पुरोहित करता था। यजुर्वेद कर्मकाण्ड प्रधान ग्रज्थ है। इसमें यज्ञों और हवनों के नियम और विधान हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[यजुर्वेद]]
  
{वैदिक [[युग]] में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली थी?
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{[[वैदिक काल|वैदिक युग]] में प्रचलित लोकप्रिय शासन प्रणाली क्या थी?
 
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-निरंकुश  
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-निरंकुश
-प्रजातंत्र  
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-प्रजातंत्र
+गणतंत्र  
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+गणतंत्र
-वंशानुगत राजतंत्र  
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-वंशानुगत राजतंत्र
  
{निम्नलिखित में से कौन भारतीय [[दर्शन]] की आरंभिक विचारधारा है?  
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{निम्नलिखित में से कौन-सी भारतीय [[दर्शन]] की आरंभिक विचारधारा है?  
 
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+[[सांख्य दर्शन|सांख्य]]
 
+[[सांख्य दर्शन|सांख्य]]
-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]]  
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-[[वैशेषिक दर्शन|वैशेषिक]]
-मीमांसा  
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-[[मीमांसा दर्शन|मीमांसा]]
-योग  
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-[[योग दर्शन|योग]]
||[[चित्र:Sankhya-Darshan.jpg|right|100px|सांख्य दर्शन का आवरण पृष्ठ]] [[महाभारत]] में शान्तिपर्व के अन्तर्गत सृष्टि, उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय और मोक्ष विषयक अधिकांश मत सांख्य ज्ञान व शास्त्र के ही हैं जिससे यह सिद्ध होता है कि उस काल तक (महाभारत की रचना तक) वह एक सुप्रतिष्ठित, सुव्यवस्थित और लोकप्रिय एकमात्र दर्शन के रूप में स्थापित हो चुका था।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सांख्य दर्शन]]
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||[[चित्र:Sankhya-Darshan.jpg|right|100px|सांख्य दर्शन का आवरण पृष्ठ]][[महाभारत]] में [[शान्तिपर्व महाभारत|शान्तिपर्व]] के अन्तर्गत सृष्टि, उत्पत्ति, स्थिति, प्रलय और मोक्ष विषयक अधिकांश मत सांख्य ज्ञान व शास्त्र के ही हैं, जिससे यह सिद्ध होता है कि उस काल तक, महाभारत की रचना तक, वह एक सुप्रतिष्ठित, सुव्यवस्थित और लोकप्रिय एकमात्र [[दर्शन]] के रूप में स्थापित हो चुका था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सांख्य दर्शन]]
  
{निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है जो [[आर्य|आर्यों]] द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी?  
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{निम्नलिखित में वह दस्तकारी कौन-सी है, जो [[आर्य|आर्यों]] द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी?  
 
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-मृदभांड (पॉटरी)  
 
-मृदभांड (पॉटरी)  
 
-[[आभूषण]]  
 
-[[आभूषण]]  
-बढ़ईगीरी (काष्ठकारिता)  
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-बढ़ईगिरी (काष्ठकारिता)
+लुहार (लुहारगीरी)  
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+लुहार (लुहारगिरी)
  
{किस [[वेद]] में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है?  
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{किस [[वेद]] में जादुई माया और वशीकरण का वर्णन है?
 
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-[[ऋग्वेद]]  
 
-[[ऋग्वेद]]  
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-[[सामवेद]]  
 
-[[सामवेद]]  
 
+[[अथर्ववेद]]  
 
+[[अथर्ववेद]]  
||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px||अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]] [[अथर्ववेद]] की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। अथर्ववेद के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ॠग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। दोनो वेदों में इसके अतिरिक्त अन्य कोई समानता नहीं है।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अथर्ववेद]]
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||[[चित्र:Atharvaveda.jpg|right|100px||अथर्ववेद का आवरण पृष्ठ]]अथर्ववेद की [[भाषा]] और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस [[वेद]] की रचना सबसे बाद में हुई। [[अथर्ववेद]] के दो पाठों (शौनक और पैप्पलद) में संचरित हुए लगभग सभी स्तोत्र ऋग्वेदीय स्तोत्रों के छंदों में रचित हैं। इसमें [[ऋग्वेद]] और [[सामवेद]] से भी [[मन्त्र]] लिये गये हैं। जादू से सम्बन्धित मन्त्र-तन्त्र, राक्षस, पिशाच, आदि भयानक शक्तियाँ अथर्ववेद के महत्त्वपूर्ण विषय हैं। इसमें भूत-प्रेत, जादू-टोने आदि के मन्त्र भी हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अथर्ववेद]]
  
{'[[आर्य]]' शब्द इंगित करता है?
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{'[[आर्य]]' शब्द इंगित करता है-
 
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{निम्नांकित में कौन 'प्रस्थानत्रयी' में शामिल नहीं है?
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+[[भागवत पुराण|भागवत]]
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-[[गीता|भगवद्गीता]]
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-[[ब्रह्मसूत्र]]
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-[[उपनिषद]]
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||[[चित्र:Cover-Bhagavata-Purana.jpg|right|100px|भागवत पुराण, [[गीताप्रेस गोरखपुर]] का आवरण पृष्ठ]]इस कलिकाल में '[[भागवत पुराण|श्रीमद्भागवत पुराण]]' [[हिन्दू]] समाज का सर्वाधिक आदरणीय [[पुराण]] है। यह [[वैष्णव सम्प्रदाय]] का प्रमुख [[ग्रन्थ]] है। इस ग्रन्थ में [[वेद|वेदों]], [[उपनिषद|उपनिषदों]] तथा [[दर्शन शास्त्र]] के गूढ़ एवं रहस्यमय विषयों को अत्यन्त सरलता के साथ निरूपित किया गया है। इसे भारतीय [[धर्म]] और [[संस्कृति]] का विश्वकोश कहना अधिक उचित होगा। सैकड़ों वर्षों से यह पुराण हिन्दू समाज की धार्मिक, सामाजिक और लौकिक मर्यादाओं की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता आ रहा हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भागवत पुराण]]
 
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Revision as of 07:58, 20 April 2012

samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan


  1. REDIRECTsaancha:nilais vishay se sanbandhit lekh padhean:-
  2. REDIRECTsaancha:nila band itihas praangan, itihas kosh, aitihasik sthan kosh

panne par jaean
1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28 | 29 | 30 | 31 | 32 | 33 | 34 | 35 | 36 | 37 | 38 | 39 | 40 | 41 | 42 | 43 | 44 | 45 | 46 | 47 | 48 | 49 | 50 | 51 | 52 | 53 | 54 | 55 | 56 | 57 | 58 | 59 | 60 | 61 | 62 | 63 | 64 | 65 | 66 | 67 | 68 | 69 | 70 | 71 | 72 | 73 | 74 | 75 | 76 | 77 | 78 | 79 | 80 | 81 | 82 | 83 | 84 | 85 | 86 | 87 | 88 | 89 | 90 | 91 | 92 | 93 | 94 | 95 | 96 | 97 | 98 | 99 | 100 | 101 | 102 | 103 | 104 | 105 | 106 | 107 | 108 | 109 | 110 | 111 | 112 | 113 | 114 | 115 | 116 | 117 | 118 | 119 | 120 | 121 | 122 | 123 | 124 | 125 | 126 | 127 | 128 | 129 | 130 | 131 | 132 | 133 | 134 | 135 | 136 | 137 | 138 | 139 | 140 | 141 | 142 | 143 | 144 | 145 | 146 | 147 | 148 | 149 | 150 | 151 | 152 | 153 | 154 | 155 | 156 | 157 | 158 | 159 | 160 | 161 | 162 | 163 | 164 | 165 | 166 | 167 | 168 | 169 | 170 | 171 | 172 | 173 | 174 | 175 | 176 | 177 | 178 | 179 | 180 | 181 | 182 | 183 | 184 | 185 | 186 | 187 | 188 | 189 | 190 | 191 | 192 | 193 | 194 | 195 | 196 | 197 | 198 | 199 | 200 | 201 | 202 | 203 | 204 | 205 | 206 | 207 | 208 | 209 | 210 | 211 | 212 | 213| 214 | 215 | 216 | 217 | 218 | 219 | 220 | 221 | 222 | 223 | 224 | 225 | 226 | 227 | 228 | 229 | 230 | 231 | 232 | 233 | 234 | 235 | 236 | 237| 238 | 239 | 240 | 241 | 242 | 243 | 244 | 245 | 246 | 247 | 248 | 249 | 250 | 251 | 252 | 253 | 254 | 255 | 256 | 257 | 258 | 259 | 260 | 261 | 262 | 263 | 264 | 265 | 266 | 267 | 268 | 269 | 270 | 271 | 272 | 273 | 274 | 275 | 276 | 277 | 278 | 279 | 280 | 281 | 282 | 283 | 284 | 285 | 286 | 287 | 288 | 289 | 290 | 291 | 292 | 293 | 294 | 295 | 296 | 297 | 298 | 299 | 300 | 301 | 302 | 303 | 304 | 305 | 306 | 307 | 308 | 309 | 310 | 311 | 312 | 313 | 314 | 315 | 316 | 317 | 318 | 319 | 320 | 321 | 322 | 323 | 324 | 325 | 326 | 327 | 328 | 329 | 330 | 331 | 332 | 333 | 334 | 335 | 336 | 337 | 338 | 339 | 340 | 341 | 342 | 343 | 344 | 345 | 346 | 347 | 348 | 349 | 350 | 351 | 352 | 353 | 354 | 355 | 356 | 357 | 358 | 359 | 360 | 361 | 362 | 363 | 364 | 365 | 366 | 367 | 368 | 369 | 370 | 371 | 372 | 373 | 374 | 375 | 376 | 377 | 378 | 379 | 380 | 381 | 382 | 383 | 384 | 385 | 386 | 387 | 388 | 389 | 390 | 391 | 392 | 393 | 394 | 395 | 396 | 397 | 398 | 399 | 400 | 401 | 402 | 403 | 404 | 405 | 406 | 407 | 408 | 409 | 410 | 411 | 412 | 413 | 414 | 415 | 416 | 417 | 418 | 419 | 420 | 421 | 422 | 423 | 424 | 425 | 426 | 427 | 428 | 429 | 430 | 431 | 432 | 433 | 434 | 435 | 436 | 437 | 438 | 439 | 440 | 441 | 442 | 443 | 444 | 445 | 446 | 447 | 448 | 449 | 450 | 451 | 452 | 453 | 454 | 455 | 456 | 457 | 458 | 459 | 460 | 461 | 462 | 463 | 464 | 465 | 466 | 467 | 468 | 469 | 470 | 471 | 472 | 473 | 474 | 475 | 476 | 477 | 478 | 479 | 480 | 481 | 482 | 483 | 484 | 485 | 486 | 487 | 488 | 489 | 490 | 491 | 492 | 493 | 494 | 495 | 496 | 497 | 498 | 499 | 500 | 501 | 502 | 503 | 504 | 505 | 506 | 507 | 508 | 509 | 510 | 511 | 512 | 513 | 514 | 515 | 516 | 517 | 518 | 519 | 520 | 521 | 522 | 523 | 524 | 525 | 526 | 527 | 528 | 529 | 530 | 531 | 532 | 533 | 534 | 535 | 536 | 537 | 538 | 539 | 540 | 541 | 542 | 543 | 544 | 545 | 546 | 547 | 548 | 549 | 550 | 551 | 552 | 553 | 554 | 555 | 556 | 557 | 558 | 559 | 560 | 561 | 562 | 563 | 564 | 565 | 566

1 aranbhik vaidik sahity mean sarvadhik varnit nadi kaun-si hai?

sindhu
parushni
sarasvati
ganga

2 upanishad kal ke raja ashvapati kahaan ke shasak the?

kashi
kekay
paanchal
videh

3 vaidik nadi 'kubha' (kabul nadi) ka sthan kahaan nirdharit hona chahie?

afaganistan mean
chini turkistan mean
kashmir mean
panjab mean

4 bharat ke kis sthal ki khudaee se lauh dhatu ke prachalan ke prachinatam praman mile haian?

takshashila
ataranjikhe da
kaushambi
hastinapur

5 nimnalikhit mean kisaka sankalan rrigved par adharit hai?

yajurved
samaved
atharvaved
inamean se koee nahian

6 nimnalikhit mean se 'karm ka siddhaant' kisase sanbandhit hai?

nyay se
mimaansa se
vedaant se
vaisheshik se

7 'charak sanhita' namak pustak kis vishay se sanbandhit hai?

arthashastr
rajaniti
chikitsa
dharm

8 yajn sanbandhi vidhi-vidhanoan ka pata chalata hai-

rrigved se
samaved se
brahman granthoan se
yajurved se

9 vaidik yug mean prachalit lokapriy shasan pranali kya thi?

nirankush
prajatantr
ganatantr
vanshanugat rajatantr

10 nimnalikhit mean se kaun-si bharatiy darshan ki aranbhik vicharadhara hai?

saankhy
vaisheshik
mimaansa
yog

11 nimnalikhit mean vah dastakari kaun-si hai, jo aryoan dvara vyavahar mean nahian laee gee thi?

mridabhaand (p aautari)
abhooshan
badheegiri (kashthakarita)
luhar (luharagiri)

12 kis ved mean jaduee maya aur vashikaran ka varnan hai?

rrigved
yajurved
samaved
atharvaved

13 'ary' shabd iangit karata hai-

nrijati samooh ko
yayavari jan ko
bhasha samooh ko
shreshth vansh ko

14 rrigved mean kul kitane mandal haian?

7
8
9
10

15 nimnaankit mean kaun 'prasthanatrayi' mean shamil nahian hai?

bhagavat
bhagavadgita
brahmasootr
upanishad

panne par jaean
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samany jnan prashnottari
rajyoan ke samany jnan