Difference between revisions of "ताप्ती नदी"

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*'''ताप्ती नदी को तापी नदी भी कहा जाता है,''' इसका उदगम मध्य [[भारत]], दक्षिण-[[मध्य प्रदेश]] राज्य, मध्य दक्कन के पठार के गाविलगढ़ की पहाड़ियों से है।  
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*ताप्ती नदी को तापी नदी भी कहा जाता है। ताप्ती नदी का उदगम स्थल मध्य [[भारत]] के दक्षिण-[[मध्य प्रदेश]] राज्य में मध्य दक्कन के पठार के गाविलगढ़ की पहाड़ियाँ है।  
*यह पश्चिम की ओर सतपुड़ा श्रेणी के दो पहाड़ों के बीच से होकर [[महाराष्ट्र]] राज्य के जलगांव पठार को पार करके [[गुजरात]] राज्य में [[सूरत]] के मैदान से होते हुए खंभात की खाड़ी में गिरती है। इसकी कुल लंबाई लगभग 700 किमी है, और यह 65,300 वर्ग किमी क्षेत्र को अपवाहित करती है।  
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*यह पश्चिम की ओर सतपुड़ा श्रेणी के दो पहाड़ों के बीच से होकर [[महाराष्ट्र]] राज्य के जलगाँव पठार को पार करके [[गुजरात]] राज्य में [[सूरत]] के मैदान से होते हुए खंभात की खाड़ी में गिरती है।  
*अपने मार्ग के अंतिम 51 किमी में यह नदी ज्वारीय, लेकिन छोटे जहाज़ों के लिए परिवहनीय है। ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह है, जो कभी आंग्ल-[[पुर्तगाल|पुर्तगाली]] उपनिवेश इतिहास में विख्यात था। स्वाली बंदरगाह गाद जमा हो जाने के कारण अब बंद हो चुका है।  
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*इसकी कुल लंबाई लगभग 700 किमी है, और यह 65,300 वर्ग किमी क्षेत्र को अपवाहित करती है। अपने मार्ग के अंतिम 51 किमी में यह नदी ज्वारीय, लेकिन छोटे जहाज़ों के लिए परिवहनीय है।  
*ताप्ती नदी, इसके उत्तर में बहने वाली अपेक्षाकृत लंबी [[नर्मदा नदी]] के लगभग समानांतर बहती है, जिससे यह मुख्य सतपुड़ा श्रेणी द्वारा विभाजित है। दो नदी घाटियाँ और इनके बीच की श्रेणियाँ उत्तरी और प्रायद्वीपीय भारत के बीच एक प्राकृतिक अवरोध बनाती हैं।  
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*ताप्ती नदी के मुहाने पर स्थित स्वाली बंदरगाह है, जो कभी आंग्ल-[[पुर्तगाल|पुर्तगाली]] उपनिवेश इतिहास में विख्यात था। स्वाली बंदरगाह गाद जमा हो जाने के कारण अब बंद हो चुका है।  
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*ताप्ती नदी [[नर्मदा नदी]] के लगभग समानांतर बहती है, जहाँ यह मुख्य रूप से सतपुड़ा श्रेणी द्वारा विभाजित होती है।  
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*ताप्ती नदी और नर्मदा नदी घाटियों के बीच की श्रेणियाँ, उत्तरी और प्रायद्वीपीय भारत के बीच एक प्राकृतिक अवरोध बनाती हैं।  
 
*महाराष्ट्र में दक्षिण से बहने वाली पूर्णा, गिरना और पंझरा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।  
 
*महाराष्ट्र में दक्षिण से बहने वाली पूर्णा, गिरना और पंझरा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।  
 
  
 
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Revision as of 08:07, 22 January 2011

  • tapti nadi ko tapi nadi bhi kaha jata hai. tapti nadi ka udagam sthal madhy bharat ke dakshin-madhy pradesh rajy mean madhy dakkan ke pathar ke gavilagadh ki paha diyaan hai.
  • yah pashchim ki or satapu da shreni ke do paha doan ke bich se hokar maharashtr rajy ke jalagaanv pathar ko par karake gujarat rajy mean soorat ke maidan se hote hue khanbhat ki kha di mean girati hai.
  • isaki kul lanbaee lagabhag 700 kimi hai, aur yah 65,300 varg kimi kshetr ko apavahit karati hai. apane marg ke aantim 51 kimi mean yah nadi jvariy, lekin chhote jahazoan ke lie parivahaniy hai.
  • tapti nadi ke muhane par sthit svali bandaragah hai, jo kabhi aangl-purtagali upanivesh itihas mean vikhyat tha. svali bandaragah gad jama ho jane ke karan ab band ho chuka hai.
  • tapti nadi narmada nadi ke lagabhag samanaantar bahati hai, jahaan yah mukhy roop se satapu da shreni dvara vibhajit hoti hai.
  • tapti nadi aur narmada nadi ghatiyoan ke bich ki shreniyaan, uttari aur prayadvipiy bharat ke bich ek prakritik avarodh banati haian.
  • maharashtr mean dakshin se bahane vali poorna, girana aur panjhara isaki pramukh sahayak nadiyaan haian.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

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