Difference between revisions of "याज़ीद"

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'''याज़ीद''' पूरा नाम 'याज़ीद इब्न मुअविया इब्न अबी सूफ़याँ' (जन्म - 645, [[अरब देश|अरब]]; मृत्यु - 683, दमिश्क), दूसरे उमय्या ख़लीफ़ा (680-683), अली के पुत्र हुसैन के नेतृत्व वाली बग़ावत को कुचलने के लिए ख़ासतौर से जाने जाते हैं। कर्बला के युद्ध (680) में हुसैन की मृत्यु ने उन्हें शहीद बना दिया और [[इस्लाम]] में अली के दल ([[शिया|शियाओं]]) व बहुसंख्यक [[सुन्नी|सुन्नियों]] के बीच मतभेद को स्थायी बना दिया।  
 
'''याज़ीद''' पूरा नाम 'याज़ीद इब्न मुअविया इब्न अबी सूफ़याँ' (जन्म - 645, [[अरब देश|अरब]]; मृत्यु - 683, दमिश्क), दूसरे उमय्या ख़लीफ़ा (680-683), अली के पुत्र हुसैन के नेतृत्व वाली बग़ावत को कुचलने के लिए ख़ासतौर से जाने जाते हैं। कर्बला के युद्ध (680) में हुसैन की मृत्यु ने उन्हें शहीद बना दिया और [[इस्लाम]] में अली के दल ([[शिया|शियाओं]]) व बहुसंख्यक [[सुन्नी|सुन्नियों]] के बीच मतभेद को स्थायी बना दिया।  
 
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====मुस्लिम समुदाय के दूसरे ख़लीफ़ा====
नौजवान याज़ीद ने अपने पिता, मुअविया, द्वारा कुस्तुनतुनिया पर घेरा डालने के लिए भेजी गई सेना का नेतृत्व किया। इसके बाद वह जल्द ही [[ख़लीफ़ा]] बन गए, लेकिन जिन्हें उनके पिता ने दबाकर रखा था, ऐसे कई लोगों ने उनके ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी।  
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नौजवान याज़ीद ने अपने [[पिता]] मुअविया, द्वारा [[कुस्तुनतुनिया]] पर घेरा डालने के लिए भेजी गई सेना का नेतृत्व किया। इसके बाद वह जल्द ही [[ख़लीफ़ा]] बन गए, लेकिन जिन्हें उनके पिता ने दबाकर रखा था, ऐसे कई लोगों ने उनके ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी। कई स्रोतों में उन्हें असंतुष्ट शासक के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, लेकिन याज़ीद ने मुअविया की नीतियों को जारी रखने का सक्रिय प्रयास किया और अपने पिता की सेवा में रहे कई लोगों को साथ रखा।
 
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=====समाज सुधार=====
कई स्रोतों में उन्हें असंतुष्ट शासक के तौर पर प्रस्तुत किया गया है, लेकिन याज़ीद ने मुअविया की नीतियों को जारी रखने का सक्रिय प्रयास किया और अपने पिता की सेवा में रहे कई लोगों को साथ रखा, उन्होंने साम्राज्य के प्रशासनिक ढाँचे को सुदृढ़ किया सीरिया की सैनिक सुरक्षा को बेहतर बनाया। वित्तीय तंत्र को सुधारा गया। उन्होंने कुछ [[ईसाई]] समूहों के करों को कम किया व समारी लोगों को अरब युद्धों के समय उनके द्वारा दी गई मदद के पुरस्कारस्वरूप मिली करों में छूट को समाप्त कर दिया। उन्होंने [[कृषि]] पर ध्यान दिया व दमिश्क के नख़लिस्तान के सिलाई तंत्र को सुधारा।  
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याज़ीद ने साम्राज्य के प्रशासनिक ढाँचे को सुदृढ़ किया और सीरिया की सैनिक सुरक्षा को बेहतर बनाया। वित्तीय तंत्र को सुधारा गया। याज़ीद ने कुछ [[ईसाई]] समूहों के करों को कम किया व समारी लोगों को अरब युद्धों के समय उनके द्वारा दी गई मदद के पुरस्कार स्वरूप मिली करों में छूट को समाप्त कर दिया। उन्होंने [[कृषि]] पर ध्यान दिया व दमिश्क के नख़लिस्तान के सिलाई तंत्र को सुधारा।  
  
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
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==संबंधित लेख==
 
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[[Category:इस्लाम धर्म कोश]]
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Latest revision as of 13:17, 21 March 2014

yazid poora nam 'yazid ibn muaviya ibn abi soofayaan' (janm - 645, arab; mrityu - 683, damishk), doosare umayya khalifa (680-683), ali ke putr husain ke netritv vali bagavat ko kuchalane ke lie khasataur se jane jate haian. karbala ke yuddh (680) mean husain ki mrityu ne unhean shahid bana diya aur islam mean ali ke dal (shiyaoan) v bahusankhyak sunniyoan ke bich matabhed ko sthayi bana diya.

muslim samuday ke doosare khalifa

naujavan yazid ne apane pita muaviya, dvara kustunatuniya par ghera dalane ke lie bheji gee sena ka netritv kiya. isake bad vah jald hi khalifa ban ge, lekin jinhean unake pita ne dabakar rakha tha, aise kee logoan ne unake khilaf bagavat kar di. kee srotoan mean unhean asantusht shasak ke taur par prastut kiya gaya hai, lekin yazid ne muaviya ki nitiyoan ko jari rakhane ka sakriy prayas kiya aur apane pita ki seva mean rahe kee logoan ko sath rakha.

samaj sudhar

yazid ne samrajy ke prashasanik dhaanche ko sudridh kiya aur siriya ki sainik suraksha ko behatar banaya. vittiy tantr ko sudhara gaya. yazid ne kuchh eesaee samoohoan ke karoan ko kam kiya v samari logoan ko arab yuddhoan ke samay unake dvara di gee madad ke puraskar svaroop mili karoan mean chhoot ko samapt kar diya. unhoanne krishi par dhyan diya v damishk ke nakhalistan ke silaee tantr ko sudhara.


panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh

sanbandhit lekh