Difference between revisions of "शर्मदार की मौत -आदित्य चौधरी"
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तीसरा अंतर है तर्कशक्ति। जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सिखाना। तीसरा याने प्रेम से सीखने वाला तरीक़ा सबसे अधिक सहज और प्रभावशाली होता है। | तीसरा अंतर है तर्कशक्ति। जानवर अपनी बुद्धि का प्रयोग तार्किक धरातल पर नहीं कर सकते। इसीलिए जानवर को दो प्रकार से ही शिक्षित किया जा सकता है- डरा कर और भोजन के लालच से किंतु मनुष्य के लिए एक तीसरा तरीक़ा भी प्रयोग में लाया गया। वह था प्रेम द्वारा सिखाना। तीसरा याने प्रेम से सीखने वाला तरीक़ा सबसे अधिक सहज और प्रभावशाली होता है। | ||
मनुष्य और जानवर में सबसे बड़ा फ़र्क़ यह है कि मनुष्य प्यार की भाषा को समझ कर अपने आचार-व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और स्वयं को अनुशासित कर सकता है जो कि जानवर नहीं कर सकता। क्या सभी मनुष्य प्यार से सीख लेते हैं ? नहीं ऐसा नहीं है। हरेक मनुष्य ऐसा नहीं कर पाता। इसीलिए नियम और दण्ड विधान बने हैं और सख़्ती से ही लागू किए जाने पर इनका पालन होता है। | मनुष्य और जानवर में सबसे बड़ा फ़र्क़ यह है कि मनुष्य प्यार की भाषा को समझ कर अपने आचार-व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और स्वयं को अनुशासित कर सकता है जो कि जानवर नहीं कर सकता। क्या सभी मनुष्य प्यार से सीख लेते हैं ? नहीं ऐसा नहीं है। हरेक मनुष्य ऐसा नहीं कर पाता। इसीलिए नियम और दण्ड विधान बने हैं और सख़्ती से ही लागू किए जाने पर इनका पालन होता है। | ||
− | जो जितना शर्मदार है उतना ही | + | जो जितना शर्मदार है उतना ही महत्त्वपूर्ण होता है। जब पानी का जहाज़ डूबता है तो जहाज़ के कप्तान के ज़िम्मेदारी होती है कि वह सभी यात्रियों को बचाए यदि वह सभी यात्रियों को न बचा पाये तो उसे जहाज़ के साथ ही डूबना होता है। कप्तान इसीलिए कप्तान होता है कि वह ज़िम्मेदारी वहन करता है। पुराने समय में दो जहाज़ों के डूबने की घटना प्रसिद्ध हैं। एक इंग्लैण्ड का जहाज़ डूबा तो उन्होंने बूढ़े, बच्चे और स्त्रियों को पहले बचाया और जवान आदमी जहाज़ के साथ डूब गए। इस घटना की पूरे विश्व में प्रशंसा हुई। दूसरी घटना फ्रांस के जहाज़ के डूबने की है जिसमें जवान लोगों ने ख़ुद को बचाया और बूढ़े और स्त्रियों को डूब जाने दिया। इस घटना की पूरे विश्व में निंदा हुई। |
आज-कल हालात ही कुछ अजब हैं, जिसे देखो वही ज़िम्मेदारी से भाग रहा है। पुराने दिनों को याद करें तो- [[आंध्र प्रदेश]] के महबूब नगर की एक रेल दुर्घटना (सन् 1956) में 112 लोग मारे गए तत्कालीन रेल मंत्री [[लाल बहादुर शास्त्री]] जी ने इस दुर्घटना की ज़िम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफ़ा दे दिया लेकिन प्रधान मंत्री [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] ने इसे स्वीकार नहीं किया। दोबारा रेल दुर्घटना [[तमिलनाडु]] में हुई तो शास्त्री जी ने फिर त्यागपत्र दे दिया जिसे प्रधान मंत्री ने सदन में यह बताकर स्वीकार कर लिया कि ग़लती शास्त्री जी की नहीं है लेकिन सदन में एक ज़िम्मेदार मंत्री का उदाहरण बनाने के लिए यह इस्तीफ़ा स्वीकार किया जाता है। | आज-कल हालात ही कुछ अजब हैं, जिसे देखो वही ज़िम्मेदारी से भाग रहा है। पुराने दिनों को याद करें तो- [[आंध्र प्रदेश]] के महबूब नगर की एक रेल दुर्घटना (सन् 1956) में 112 लोग मारे गए तत्कालीन रेल मंत्री [[लाल बहादुर शास्त्री]] जी ने इस दुर्घटना की ज़िम्मेदारी लेते हुए तुरंत इस्तीफ़ा दे दिया लेकिन प्रधान मंत्री [[पं. जवाहरलाल नेहरू]] ने इसे स्वीकार नहीं किया। दोबारा रेल दुर्घटना [[तमिलनाडु]] में हुई तो शास्त्री जी ने फिर त्यागपत्र दे दिया जिसे प्रधान मंत्री ने सदन में यह बताकर स्वीकार कर लिया कि ग़लती शास्त्री जी की नहीं है लेकिन सदन में एक ज़िम्मेदार मंत्री का उदाहरण बनाने के लिए यह इस्तीफ़ा स्वीकार किया जाता है। | ||
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Latest revision as of 08:02, 1 August 2013
50px|right|link=|
20px|link=http://www.facebook.com/bharatdiscovery|fesabuk par bharatakosh (nee shuruat) bharatakosh sharmadar ki maut -adity chaudhari n jane kitani purani bat hai ki achary vidyadhar nam ke ek shikshak apana gurukul nagaroan ki bhi d-bha d se door ekaant mean chalate the. door-door se anek dhanadhyoan aur nirdhanoan ke bachche unake yahaan shiksha lene ate the. rajy ke raja ka putr bhi unase gurukul mean hi rahakar shiksha le raha tha. achary kisi chhatr se galati ya laparavahi hone par unako marate-pitate nahian the lekin sharirik shram karane ka dand avashy dete the, jaise khurapi se kyariyaan banavana, lambi-lambi dau d lagavana ya ashram ke lie bhojan banavane aur saphaee adi mean sahayata dena. raja ka beta bhi is prakar ke dand ka bhagi banata tha. kee varsh vyatit ho jane ke uparaant chhatroan ko apane parivar se milane ki anumati di jati thi, jisase ki chhatr apane parivarijanoan ke sath bhi rah sake. tin varsh ke uparaant rajakumar yashakirti ko bhi apane rajamahal bhej diya gaya. rajamahal mean rani ne apane putr se usaka halachal poochha- |