कहि देखा हर जतन

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कहि देखा हर जतन
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

कहि देखा हर जतन बहु रहइ न दच्छकुमारि।
दिए मुख्य गन संग तब बिदा कीन्ह त्रिपुरारि॥ 62॥

भावार्थ-

शिव ने बहुत प्रकार से कहकर देख लिया, किंतु जब सती किसी प्रकार भी नहीं रुकीं, तब त्रिपुरारि महादेव ने अपने मुख्य गणों को साथ देकर उनको बिदा कर दिया॥ 62॥


left|30px|link=भाँति अनेक संभु समुझावा|पीछे जाएँ कहि देखा हर जतन right|30px|link=पिता भवन जब गईं भवानी|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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