कालूक सरदार अखाड़ा, वाराणसी

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search

त्रिलोचन घाट के ठीक ऊपर अखाड़ा कालूक सरदार आज भी अपने सुरक्षित अवस्था में अपने सुधरे हुए भविष्य के साथ स्थित है। इस पुराने अखाड़े में दो चीजें बदली हैं। एक तो रजिस्ट्रेशन के तुरन्त बाद इसके नाम का नवीनीकरण हो गया। दूसरे सिलमिटी ऊँचाइयों के बीच इसमें आधुनिक तरीकों का स्वरूप घर कर गया। आजकल यह त्रिलोचन व्यायामशाला के नाम से प्रसिद्ध है। पहले यह अखाड़ा गायघाट पर था, फिर बद्रीनारायण और त्रिलोचन मन्दिर के पिछवाड़े पर स्थित था। बाद में कालकू सरदार ने जो स्वयं भी लब्ध प्रतिष्ठ पहलवान थे इस अखाड़े की नींव डाली। यहाँ कुछ सालों से जोड़ियाँ भी प्रारम्भ हो गयी हैं। कन्हैया सरदार, सान्ता और सुमेर जोड़ी फेरने वालों में प्रमुख हैं। ‘बनारसी’ का नाम कुश्ती के लिए लिया जा सकता है। यहाँ बारमल और मलखम भी होता है। ढाई सौ से अधिक पहलवान प्रशिक्षित हो चुके हैं। व्यावसायिकता की कमी से यह अखाड़ा प्रसिद्धि न पा सका।[1]



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अखाड़े/व्यायामशालाएँ (हिंदी) काशीकथा। अभिगमन तिथि: 19 जनवरी, 2014।

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः