परसुरामु तब राम प्रति

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परसुरामु तब राम प्रति
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

परसुरामु तब राम प्रति बोले उर अति क्रोधु।
संभु सरासनु तोरि सठ करसि हमार प्रबोधु॥ 280॥

भावार्थ-

तब परशुराम हृदय में अत्यंत क्रोध भरकर राम से बोले - अरे शठ! तू शिव का धनुष तोड़कर उलटा हमीं को ज्ञान सिखाता है॥ 280॥


left|30px|link=बेगि करहु किन आँखिन्ह ओटा|पीछे जाएँ परसुरामु तब राम प्रति right|30px|link=बंधु कहइ कटु संमत तोरें|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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