पवन तनय के बचन सुनि

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पवन तनय के बचन सुनि
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक 'रामचरितमानस'
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि।
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली दोहा, चौपाई और सोरठा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड लंकाकाण्ड
श्री रामजी के बाण से रावण के मुकुट-छत्रादि का गिरना
दोहा

पवन तनय के बचन सुनि बिहँसे रामु सुजान।
दच्छिन दिसि अवलोकि प्रभु बोले कृपा निधान॥ 12(ख)॥

भावार्थ

पवनपुत्र हनुमान के वचन सुनकर सुजान राम हँसे। फिर दक्षिण की ओर देखकर कृपानिधान प्रभु बोले - ॥ 12(ख)॥



left|30px|link=कह हनुमंत सुनहु प्रभु|पीछे जाएँ पवन तनय के बचन सुनि right|30px|link=देखु विभीषन दच्छिन आसा|आगे जाएँ


दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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