यह इतिहास पुनीत अति

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यह इतिहास पुनीत अति
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

यह इतिहास पुनीत अति उमहि कही बृषकेतु।
भरद्वाज सुनु अपर पुनि राम जनम कर हेतु॥ 152॥

भावार्थ-

(याज्ञवल्क्य कहते हैं -) हे भरद्वाज! इस अत्यंत पवित्र इतिहास को शिव ने पार्वती से कहा था। अब राम के अवतार लेने का दूसरा कारण सुनो॥ 152॥


left|30px|link=दंपति उर धरि भगत कृपाला|पीछे जाएँ यह इतिहास पुनीत अति right|30px|link=सुनु मुनि कथा पुनीत पुरानी|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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