राम कीन्ह बिश्राम निसि
राम कीन्ह बिश्राम निसि
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
राम कीन्ह बिश्राम निसि प्रात प्रयाग नहाइ। |
- भावार्थ
श्री रामजी ने रात को वहीं विश्राम किया और प्रातःकाल प्रयागराज का स्नान करके और प्रसन्नता के साथ मुनि को सिर नवाकर श्री सीताजी, लक्ष्मणजी और सेवक गुह के साथ वे चले॥108॥
left|30px|link=राम प्रनाम कीन्ह सब काहू|पीछे जाएँ | राम कीन्ह बिश्राम निसि | right|30px|link=राम सप्रेम कहेउ मुनि पाहीं|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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