सुख संदोह मोहपर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
सुख संदोह मोहपर
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

सुख संदोह मोहपर ग्यान गिरा गोतीत।
दंपति परम प्रेम बस कर सिसुचरित पुनीत॥ 199॥

भावार्थ-

जो सुख के पुंज, मोह से परे तथा ज्ञान, वाणी और इंद्रियों से अतीत हैं, वे भगवान दशरथ-कौसल्या के अत्यंत प्रेम के वश होकर पवित्र बाललीला करते हैं॥ 199॥


left|30px|link=पीत झगुलिआ तनु पहिराई|पीछे जाएँ सुख संदोह मोहपर right|30px|link=एहि बिधि राम जगत पितु माता|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख


वर्णमाला क्रमानुसार लेख खोज

                              अं                                                                                                       क्ष    त्र    ज्ञ             श्र   अः