हौंहु कहावत सबु कहत

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हौंहु कहावत सबु कहत
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
दोहा

हौंहु कहावत सबु कहत राम सहत उपहास।
साहिब सीतानाथ सो सेवक तुलसीदास॥ 28(ख)॥

भावार्थ-

सब लोग मुझे राम का सेवक कहते हैं और मैं भी कहलाता हूँ (कहने वालों का विरोध नहीं करता), कृपालु राम इस निंदा को सहते हैं कि सीतानाथ - जैसे स्वामी का तुलसीदास-सा सेवक है॥ 28(ख)॥


left|30px|link=सठ सेवक की प्रीति|पीछे जाएँ हौंहु कहावत सबु कहत right|30px|link=अति बड़ि मोरि ढिठाई खोरी|आगे जाएँ

दोहा- मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।


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