चित्रगुप्त देवता: Difference between revisions

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*एक बार जब [[ब्रह्मा]] ध्यानस्थ थे, उनके अंग से अनेक वर्णों से चित्रित लेखनी और मसि पात्र लिए एक पुरुष उत्पन्न हुआ, इन्हीं का नाम चित्रगुप्त था।  
'''चित्रगुप्त''' [[यमराज]] के [[यमलोक]] में न्यायालय के लेखक माने गये हैं। एक बार जब [[ब्रह्मा]] ध्यानस्थ थे, उनके अंग से अनेक वर्णों से चित्रित लेखनी और मसि पात्र लिए एक पुरुष उत्पन्न हुआ, इन्हीं का नाम चित्रगुप्त था। [[ब्रह्मा]] की काया से उत्पन्न होने के कारण इन्हें '[[कायस्थ]]' भी कहा जाता है।
*ब्रह्मा की काया से उत्पन्न होने के कारण इन्हें '[[कायस्थ]]' भी कहते हैं।
*उत्पन्न होते ही चित्रगुप्त ने ब्रह्मा से अपने कार्य के सम्बन्ध में पूछा। ब्रह्मा पुन: ध्यानस्थ हो गये।  
*उत्पन्न होते ही चित्रगुप्त ने ब्रह्मा से अपने कार्य के सम्बन्ध में पूछा। ब्रह्मा पुन: ध्यानस्थ हो गये।  
*योग निद्रा के अवसान के उपरान्त ब्रह्मा ने चित्रगुप्त से कहा कि यमलोक में जाकर मनुष्यों के पाप और [[पुण्य]] का लेखा तैयार करो।  
*योग निद्रा के अवसान के उपरान्त ब्रह्मा ने चित्रगुप्त से कहा कि [[यमलोक]] में जाकर मनुष्यों के पाप और [[पुण्य]] का लेखा तैयार करो।  
*उसी समय से ये यमलोक में पाप और पुण्य की गणना करते हैं। अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि इनके बारह पुत्र हुए।  
*उसी समय से ये यमलोक में पाप और पुण्य की गणना करते हैं। अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि इनके बारह पुत्र हुए।  
*[[गरुड़ पुराण]] में यमलोक के निकट ही चित्रलोक की भी कल्पना की गयी है।  
*[[गरुड़ पुराण]] में यमलोक के निकट ही चित्रलोक की भी कल्पना की गयी है।  
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*यमराज ने इन्हें धर्म का रहस्य समझाया। चित्रलेखा की सहायता से चित्रगुप्त ने अपने भवन की इतनी अधिक सज्जा की कि देवशिल्पी [[विश्वकर्मा]] भी स्पर्धा करने लगे।  
*यमराज ने इन्हें धर्म का रहस्य समझाया। चित्रलेखा की सहायता से चित्रगुप्त ने अपने भवन की इतनी अधिक सज्जा की कि देवशिल्पी [[विश्वकर्मा]] भी स्पर्धा करने लगे।  
*वर्तमान समय में कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त के ही वंशज कहे जाते हैं।  
*वर्तमान समय में कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त के ही वंशज कहे जाते हैं।  
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==संबंधित लेख==
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{{हिन्दू देवी देवता और अवतार}}
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Latest revision as of 08:29, 17 March 2012

चित्रगुप्त यमराज के यमलोक में न्यायालय के लेखक माने गये हैं। एक बार जब ब्रह्मा ध्यानस्थ थे, उनके अंग से अनेक वर्णों से चित्रित लेखनी और मसि पात्र लिए एक पुरुष उत्पन्न हुआ, इन्हीं का नाम चित्रगुप्त था। ब्रह्मा की काया से उत्पन्न होने के कारण इन्हें 'कायस्थ' भी कहा जाता है।

  • उत्पन्न होते ही चित्रगुप्त ने ब्रह्मा से अपने कार्य के सम्बन्ध में पूछा। ब्रह्मा पुन: ध्यानस्थ हो गये।
  • योग निद्रा के अवसान के उपरान्त ब्रह्मा ने चित्रगुप्त से कहा कि यमलोक में जाकर मनुष्यों के पाप और पुण्य का लेखा तैयार करो।
  • उसी समय से ये यमलोक में पाप और पुण्य की गणना करते हैं। अम्बष्ट, माथुर तथा गौड़ आदि इनके बारह पुत्र हुए।
  • गरुड़ पुराण में यमलोक के निकट ही चित्रलोक की भी कल्पना की गयी है।
  • कार्तिक–मास की शुक्ल द्वितीया को इनकी पूजा होती है। इसीलिए इसे यमद्वितीया भी कहा जाता है।
  • शापग्रस्त राजा सुदास इसी तिथि को इनकी पूजा करके स्वर्ग के भागी हुए।
  • भीष्म पितामह ने भी इनकी पूजा करके इच्छा मृत्यु का वर प्राप्त किया था।
  • मतान्तर ने चित्रगुप्त के पिता मित्त नामक कायस्थ थे। इनकी बहन का नाम चित्रा था, पिता के देहावसान के उपरान्त प्रभास क्षेत्र में जाकर सूर्य की तपस्या की, जिसके फल से इन्हें ज्ञानोपलब्धि हुई।
  • यमराज ने इन्हें न्यायालय में लेखक का पद दिया। उसी समय से ये चित्रगुप्त नाम से प्रसिद्ध हुए।
  • यमराज ने इन्हें धर्म का रहस्य समझाया। चित्रलेखा की सहायता से चित्रगुप्त ने अपने भवन की इतनी अधिक सज्जा की कि देवशिल्पी विश्वकर्मा भी स्पर्धा करने लगे।
  • वर्तमान समय में कायस्थ जाति के लोग चित्रगुप्त के ही वंशज कहे जाते हैं।

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