पूर्वाराम: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
(''''पूर्वाराम''' अथवा 'पुब्बाराम' बौद्ध साहित्य में वर...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "<references/> *पुस्तक- ऐतिहासिक स्थानावली, लेखक-विजयेन्द्र कुमार माथुर, प्रकाशन- राजस्थान ग्रंथ अका) |
||
(One intermediate revision by the same user not shown) | |||
Line 13: | Line 13: | ||
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=576|url=}} | {{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=576|url=}} | ||
<references/> | <references/> | ||
*ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | {{उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान}} | ||
[[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | [[Category:उत्तर प्रदेश]][[Category:उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक स्थान]][[Category:ऐतिहासिक स्थल]][[Category:ऐतिहासिक स्थान कोश]][[Category:पर्यटन कोश]][[Category:इतिहास कोश]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Latest revision as of 07:13, 16 June 2013
पूर्वाराम अथवा 'पुब्बाराम' बौद्ध साहित्य में वर्णित श्रावस्ती, उत्तर प्रदेश का एक विहार था। इसका निर्माण नगर के एक धनी सेठ मिगार (मृगधर) की स्त्री विशाखा ने करवाया था।
- पूर्वाराम के निर्माण में अपार धनराशि व्यय हुई थी।
- यह विहार नगर के पूर्वी द्वार के पास स्थित था।[1]
- पूर्वी द्वार के निकट होने के कारण ही संभवत: इसका नाम पूर्वाराम पड़ा।
- इसके निर्माण तथा समर्पण में लगभग 27 करोड़ मुद्राओं का व्यय करना पड़ा था।
- यह लकड़ी (रुक्ख) तथा पत्थर द्वारा निर्मित था, जिसमें दो मंजिलें थीं।[2]
- पूर्वाराम विहार की आधुनिक स्थिति सहेत-महेत के पास उनके पूर्व का हनुमनवा स्थान है।
- इस विहार के खंडहर सहेत-महेत में जेतवन के अवशेषों से एक मील दक्षिण की ओर एक ढूह के रूप में पड़े हुए हैं।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |पृष्ठ संख्या: 576 |
- ↑ 'धम्मपदटीका', भाग 1, पृष्ठ 384; 'अंगुत्तरनिकाय', प्रथम भाग (हिन्दी अनुवाद, भदंत आनंद कौसल्यायन, महाबोधि सभा, कलकत्ता 1957, पृष्ठ 212 मेमायर्स आदि 'दि आर्कियोलाजिक सर्वे आफ इंडिया', भाग 50, पृष्ठ 25
- ↑ राहुल सांकृत्यायन, पुरातत्त्व निबंधावली, पृष्ठ 79
- ऐतिहासिक स्थानावली | विजयेन्द्र कुमार माथुर | वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग | मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार