चुम्बकीय क्षेत्र: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:38, 30 August 2014
पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र एक चुम्बकीय द्विध्रुव के आकार का है और वर्तमान में यह लगभग ग्रह के भौगोलिक ध्रुवों पर ही स्थित है।
डायनमो का सिद्धांत
डायनमो सिद्धांत के अनुसार, चुम्बकीय क्षेत्र का उद्भव पिघले हुए बाहरी क्रोड के अंदर ही होता है, जहां ऊष्मा संवहन धाराएं पैदा करती है जिससे विद्युत धारा पैदा होती है। इसी से पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र पैदा होता है। करोड़ों साल के अंतर में इस चुम्बकीय क्षेत्र में दिशा परिवर्तन होता है।
चुम्बकीय मण्डल
चुम्बकीय क्षेत्र की वजह से चुम्बकीय मण्डल पैदा होता है जो सौर तूफान के उत्पन्न होने पर कॉस्मिक किरणों को पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश नहीं करने देता है। इसी वजह से चुम्बकीय क्षेत्र व सौर पवन मिलकर वान एलेन पट्टिका का निर्माण करते हैं। जब सौर पवन के कण जिन्हें प्लाज्मा भी कहते हैं, चुम्बकीय ध्रुवों में पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं तो इससे ध्रुवीय ज्योति का निर्माण होता है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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