पूछें कोउ न ऊतरु देई: Difference between revisions

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पूछने पर कोई जवाब नहीं देता। वे उस महल में गए, जहाँ राजा और [[कैकेयी]] थे 'जय जीव' कहकर सिर नवाकर (वंदना करके) बैठे और राजा की दशा देखकर तो वे सूख ही गए॥3॥  
पूछने पर कोई जवाब नहीं देता। वे उस महल में गए, जहाँ राजा और [[कैकेयी]] थे 'जय जीव' कहकर सिर नवाकर (वंदना करके) बैठे और राजा की दशा देखकर तो वे सूख ही गए॥3॥  


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पूछें कोउ न ऊतरु देई
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
चौपाई

पूछें कोउ न ऊतरु देई। गए जेहिं भवन भूप कैकेई॥
कहि जयजीव बैठ सिरु नाई। देखि भूप गति गयउ सुखाई॥3॥

भावार्थ

पूछने पर कोई जवाब नहीं देता। वे उस महल में गए, जहाँ राजा और कैकेयी थे 'जय जीव' कहकर सिर नवाकर (वंदना करके) बैठे और राजा की दशा देखकर तो वे सूख ही गए॥3॥


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चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।




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