चंदु चवै बरु अनल: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg{{सूचना बक्सा पु...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 1: Line 1:
{{सूचना बक्सा पुस्तक
{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg{{सूचना बक्सा पुस्तक
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg
|चित्र का नाम=रामचरितमानस
|चित्र का नाम=रामचरितमानस

Latest revision as of 06:47, 2 June 2016

चंदु चवै बरु अनल
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अयोध्या काण्ड
दोहा

 चंदु चवै बरु अनल कन सुधा होइ बिषतूल।
सपनेहुँ कबहुँ न करहिं किछु भरतु राम प्रतिकूल॥48॥

भावार्थ

चन्द्रमा चाहे (शीतल किरणों की जगह) आग की चिनगारियाँ बरसाने लगे और अमृत चाहे विष के समान हो जाए, परन्तु भरतजी स्वप्न में भी कभी श्री रामचन्द्रजी के विरुद्ध कुछ नहीं करेंगे॥48॥


left|30px|link=कान मूदि कर रद गहि जीहा|पीछे जाएँ चंदु चवै बरु अनल right|30px|link=एक बिधातहि दूषनु देहीं|आगे जाएँ


दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।




पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख