लुकलुकी कुण्ड काम्यवन: Difference between revisions
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|विवरण='लुकलुकी कुण्ड' [[ब्रज|ब्रजमण्डल]] के [[काम्यवन]] स्थित एक धार्मिक स्थल है, जिसका सम्बंध [[कृष्ण|भगवान श्रीकृष्ण]] की लीलाओं से है। | |||
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'''लुकलुकी कुण्ड''' [[ब्रज|ब्रजमण्डल]] के [[काम्यवन]] में [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] से जुड़ा महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहाँ भगवान सखाओं आदि के साथ लुका-छिपी की क्रीड़ा किया करते थे। | |||
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गोचारण करते समय कभी | *कृष्ण उन ब्रज-रमणियों के साथ यहाँ पर लुका-छिपी (आँख मुदउवल) की क्रीड़ा करते। सब गोपियों ने अपनी-अपनी आँखें मूँद लीं और कृष्ण निकट ही पर्वत की एक कन्दरा में प्रवेश कर गये। | ||
== | *सखियाँ चारों ओर उन्हें खोजने लगीं, किन्तु कृष्ण को ढूँढ़ नहीं सकीं। वे बहुत ही चिन्तित हुईं कि कृष्ण हमें छोड़कर कहाँ चले गये? वे कृष्ण का ध्यान करने लगीं। जहाँ पर वे बैठकर ध्यान कर रही थीं, वह स्थल 'ध्यान-कुण्ड' है। जिस कन्दरा में [[कृष्ण]] छिपे थे, उसे 'लुक-लुक कन्दरा' कहते हैं। | ||
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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लुकलुकी कुण्ड काम्यवन
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विवरण | 'लुकलुकी कुण्ड' ब्रजमण्डल के काम्यवन स्थित एक धार्मिक स्थल है, जिसका सम्बंध भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
प्रसिद्धि | श्रीकृष्ण लीला स्थली |
संबंधित लेख | ब्रज, मथुरा, नंदगाँव, वृन्दावन, कृष्ण, राधा, अष्टसखी
|
अन्य जानकारी | इस स्थान के विषय में कहा जाता है कि यहाँ श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ लुका-छिपी आदि खेला करते थे। |
बाहरी कड़ियाँ | 1:42 23 जुलाई, 2016 (IST) |
लुकलुकी कुण्ड ब्रजमण्डल के काम्यवन में श्रीकृष्ण से जुड़ा महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहाँ भगवान सखाओं आदि के साथ लुका-छिपी की क्रीड़ा किया करते थे।
- गोचारण करते समय कभी-कभी भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं को खेलते हुए छोड़कर कुछ समय के लिए एकान्त में इस परम रमणीय स्थान पर गोपियों से मिले।
- कृष्ण उन ब्रज-रमणियों के साथ यहाँ पर लुका-छिपी (आँख मुदउवल) की क्रीड़ा करते। सब गोपियों ने अपनी-अपनी आँखें मूँद लीं और कृष्ण निकट ही पर्वत की एक कन्दरा में प्रवेश कर गये।
- सखियाँ चारों ओर उन्हें खोजने लगीं, किन्तु कृष्ण को ढूँढ़ नहीं सकीं। वे बहुत ही चिन्तित हुईं कि कृष्ण हमें छोड़कर कहाँ चले गये? वे कृष्ण का ध्यान करने लगीं। जहाँ पर वे बैठकर ध्यान कर रही थीं, वह स्थल 'ध्यान-कुण्ड' है। जिस कन्दरा में कृष्ण छिपे थे, उसे 'लुक-लुक कन्दरा' कहते हैं।