गणेश्वर: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - "खोज़ " to "खोज ")
 
(One intermediate revision by one other user not shown)
Line 3: Line 3:
*[[खेतड़ी]] में ताम्र भण्डार के मध्य में स्थित होने के कारण गणेश्वर का महत्त्व स्वतः ही उजागर हो जाता है।
*[[खेतड़ी]] में ताम्र भण्डार के मध्य में स्थित होने के कारण गणेश्वर का महत्त्व स्वतः ही उजागर हो जाता है।
*यहाँ के [[उत्खनन]] से कई सहस्त्र ताम्र आयुध एवं ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं।
*यहाँ के [[उत्खनन]] से कई सहस्त्र ताम्र आयुध एवं ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं।
*गणेश्वर से प्राप्त सामग्री में कुल्हाड़ी, [[बाण अस्त्र|बाण]], भाले, सुइयाँ, [[मछली]] पकड़ने के काँटे, चूड़ियाँ एवं विविध ताम्र आभूषण प्रमुख हैं। सामग्रियों में 99 प्रतिशत [[ताँबा]] है।
*गणेश्वर से प्राप्त सामग्री में [[कुल्हाड़ी]], [[बाण अस्त्र|बाण]], भाले, सुइयाँ, [[मछली]] पकड़ने के काँटे, चूड़ियाँ एवं विविध ताम्र आभूषण प्रमुख हैं। सामग्रियों में 99 प्रतिशत [[ताँबा]] है।
*ताम्र आयुधों के साथ लघु पाषाण उपकरण भी मिले हैं, जिनसे विदित होता है कि उस समय यहाँ का जीवन भोजन संग्राही अवस्था में था।
*ताम्र आयुधों के साथ लघु पाषाण उपकरण भी मिले हैं, जिनसे विदित होता है कि उस समय यहाँ का जीवन भोजन संग्राही अवस्था में था।
*यहाँ के मकान पत्थर के बनाये जाते थे। पूरी बस्ती को बाढ़ से बचाने के लिए कई बार वृहताकार पत्थर के बाँध भी बनाये गये थे।
*यहाँ के मकान पत्थर के बनाये जाते थे। पूरी बस्ती को बाढ़ से बचाने के लिए कई बार वृहताकार पत्थर के बाँध भी बनाये गये थे।
*कांदली उपत्यका में लगभग 300 ऐसे केन्द्रों की खोज़ की जा चुकी हैं, जहाँ गणेश्वर संस्कृति पुष्पित-पल्लवित हुई थी।
*कांदली उपत्यका में लगभग 300 ऐसे केन्द्रों की खोज की जा चुकी हैं, जहाँ गणेश्वर संस्कृति पुष्पित-पल्लवित हुई थी।


{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}

Latest revision as of 10:04, 4 August 2016

गणेश्वर राजस्थान के सीकर ज़िला के अंतर्गत नीम-का-थाना तहसील में ताम्रयुगीन संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है। यहाँ से प्रचुर मात्रा में जो ताम्र सामग्री पायी गयी है, वह भारतीय पुरातत्त्व को राजस्थान की अपूर्व देन है। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से यह स्थल प्राचीनतम स्थल है।

  • खेतड़ी में ताम्र भण्डार के मध्य में स्थित होने के कारण गणेश्वर का महत्त्व स्वतः ही उजागर हो जाता है।
  • यहाँ के उत्खनन से कई सहस्त्र ताम्र आयुध एवं ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं।
  • गणेश्वर से प्राप्त सामग्री में कुल्हाड़ी, बाण, भाले, सुइयाँ, मछली पकड़ने के काँटे, चूड़ियाँ एवं विविध ताम्र आभूषण प्रमुख हैं। सामग्रियों में 99 प्रतिशत ताँबा है।
  • ताम्र आयुधों के साथ लघु पाषाण उपकरण भी मिले हैं, जिनसे विदित होता है कि उस समय यहाँ का जीवन भोजन संग्राही अवस्था में था।
  • यहाँ के मकान पत्थर के बनाये जाते थे। पूरी बस्ती को बाढ़ से बचाने के लिए कई बार वृहताकार पत्थर के बाँध भी बनाये गये थे।
  • कांदली उपत्यका में लगभग 300 ऐसे केन्द्रों की खोज की जा चुकी हैं, जहाँ गणेश्वर संस्कृति पुष्पित-पल्लवित हुई थी।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख