दोहनी कुण्ड काम्यवन: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
रिंकू बघेल (talk | contribs) No edit summary |
||
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) | |||
Line 1: | Line 1: | ||
{{सूचना बक्सा पर्यटन | |||
|चित्र=Blank-Image-2.jpg | |||
|चित्र का नाम=दोहनी कुण्ड काम्यवन | |||
|विवरण=दोहनी कुण्ड [[बरसाना]], [[मथुरा]] के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। | |||
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]] | |||
|केन्द्र शासित प्रदेश= | |||
|ज़िला=[[मथुरा]] | |||
|निर्माता= | |||
|स्वामित्व= | |||
|प्रबंधक= | |||
|निर्माण काल= | |||
|स्थापना= | |||
|भौगोलिक स्थिति= | |||
|मार्ग स्थिति=[[बरसाना]], से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर है। | |||
|मौसम= | |||
|तापमान= | |||
|प्रसिद्धि=धार्मिक स्थल | |||
|कब जाएँ=कभी भी | |||
|कैसे पहुँचें= | |||
|हवाई अड्डा= | |||
|रेलवे स्टेशन= | |||
|बस अड्डा= | |||
|यातायात=बस, कार, ऑटो आदि | |||
|क्या देखें= | |||
|कहाँ ठहरें= | |||
|क्या खायें= | |||
|क्या ख़रीदें= | |||
|एस.टी.डी. कोड= | |||
|ए.टी.एम= | |||
|सावधानी= | |||
|मानचित्र लिंक= | |||
|संबंधित लेख=[[राधा]], [[कृष्ण]], [[बरसाना]], [[राधाकुण्ड गोवर्धन]], [[ललिता कुण्ड काम्यवन]] | |||
|शीर्षक 1= | |||
|पाठ 1= | |||
|शीर्षक 2= | |||
|पाठ 2= | |||
|अन्य जानकारी=इस में प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह महाराज वृषभानु की लाखों गायों के रहने का स्थान था। | |||
|बाहरी कड़ियाँ= | |||
|अद्यतन= | |||
}} | |||
[[बरसाना]] [[मथुरा]] से लगभग 50 कि.मी. है। यह स्थान बरसाना के पास है। | '''दोहनी कुण्ड''' [[बरसाना]], [[मथुरा]] से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बरसाना के पास ही है। गहवर वन की पश्चिम दिशा के समीप ही [[चिकसौली|चिकसौली ग्राम]] के दक्षिण में यह स्थित है। यहाँ प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह स्थान [[वृषभानु|महाराज वृषभानु]] की लाखों [[गाय|गायों]] के रहने का खिड़क<ref>स्थान</ref> था। | ||
====कथा==== | |||
एक बार गोदोहन के समय किशोरी [[राधा|राधिका]] खड़ी-खड़ी गोदोहन का कार्य देख रही थीं। देखते ही देखते उनकी भी गोदोहन की इच्छा हुई। वे भी मटकी लेकर एक गाय का [[दूध]] दुहने लगीं। उसी समय कौतुकी [[कृष्ण]] भी वहाँ आ पहुँचे और बोले- "सखि! तोपे दूध काढ़वो भी नहीं आवे है ला मैं बताऊँ।" यह कहकर पास ही में बैठ गये। राधिका जी ने उनसे कहा- "अरे मोहन! मोए सिखा।" यह कहकर सामने बैठ गईं। कृष्ण ने कहा- "अच्छौ दो थन आप दुहो और दो मैं दुहों, आप मेरी ओर निगाह राखो।" कृष्ण ठिठोली करते हुए दूध की धार निकालने लगे। उन्होंने हठात एक धार राधा जी के मुखमण्डल में ऐसी मारी कि राधा जी का मुखमण्डल दूध से भर गया। फिर तो आप भी हँसने लगे और सखियाँ भी हँसने लगीं | |||
एक | |||
<blockquote><poem>आमें सामें बैठ दोऊ दोहत करत ठठोर। | |||
दूध धार मुख पर पड़त दृग भये चन्द्र चकोर॥</poem></blockquote> | |||
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | |||
<references/> | |||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | {{ब्रज के दर्शनीय स्थल}} | ||
[[Category:ब्रज]] | [[Category:ब्रज]] | ||
[[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]] | [[Category:ब्रज के धार्मिक स्थल]] | ||
[[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | [[Category:धार्मिक स्थल कोश]] | ||
__INDEX__ | |||
__NOTOC__ |
Latest revision as of 07:21, 7 August 2016
दोहनी कुण्ड काम्यवन
| |
विवरण | दोहनी कुण्ड बरसाना, मथुरा के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है। |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | मथुरा |
मार्ग स्थिति | बरसाना, से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर है। |
प्रसिद्धि | धार्मिक स्थल |
कब जाएँ | कभी भी |
यातायात | बस, कार, ऑटो आदि |
संबंधित लेख | राधा, कृष्ण, बरसाना, राधाकुण्ड गोवर्धन, ललिता कुण्ड काम्यवन
|
अन्य जानकारी | इस में प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह महाराज वृषभानु की लाखों गायों के रहने का स्थान था। |
दोहनी कुण्ड बरसाना, मथुरा से लगभग 50 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बरसाना के पास ही है। गहवर वन की पश्चिम दिशा के समीप ही चिकसौली ग्राम के दक्षिण में यह स्थित है। यहाँ प्राकट्य लीला के समय गोदोहन सम्पन्न होता था। यह स्थान महाराज वृषभानु की लाखों गायों के रहने का खिड़क[1] था।
कथा
एक बार गोदोहन के समय किशोरी राधिका खड़ी-खड़ी गोदोहन का कार्य देख रही थीं। देखते ही देखते उनकी भी गोदोहन की इच्छा हुई। वे भी मटकी लेकर एक गाय का दूध दुहने लगीं। उसी समय कौतुकी कृष्ण भी वहाँ आ पहुँचे और बोले- "सखि! तोपे दूध काढ़वो भी नहीं आवे है ला मैं बताऊँ।" यह कहकर पास ही में बैठ गये। राधिका जी ने उनसे कहा- "अरे मोहन! मोए सिखा।" यह कहकर सामने बैठ गईं। कृष्ण ने कहा- "अच्छौ दो थन आप दुहो और दो मैं दुहों, आप मेरी ओर निगाह राखो।" कृष्ण ठिठोली करते हुए दूध की धार निकालने लगे। उन्होंने हठात एक धार राधा जी के मुखमण्डल में ऐसी मारी कि राधा जी का मुखमण्डल दूध से भर गया। फिर तो आप भी हँसने लगे और सखियाँ भी हँसने लगीं
आमें सामें बैठ दोऊ दोहत करत ठठोर।
दूध धार मुख पर पड़त दृग भये चन्द्र चकोर॥
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्थान
संबंधित लेख