वेदश्रुति नदी: Difference between revisions
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*वेदश्रुति के | *वेदश्रुति के पश्चात् गोमती<ref>अयोध्या काण्ड 49,10</ref> तथा स्यंदिका<ref>अयोध्या काण्ड 49,11 </ref>को तीनों ने पार किया था। | ||
*इस प्रकार वेदश्रुति, [[तमसा नदी|तमसा]] और [[गोमती नदी|गोमती]] नदियों के बीच में स्थित कोई नदी जान पड़ती है। | *इस प्रकार वेदश्रुति, [[तमसा नदी|तमसा]] और [[गोमती नदी|गोमती]] नदियों के बीच में स्थित कोई नदी जान पड़ती है। | ||
*श्री नं. ला. डे के अनुसार यह [[अवध]] की बेता (वेता) नदी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=874|url=}}</ref> | *श्री नं. ला. डे के अनुसार यह [[अवध]] की बेता (वेता) नदी है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=ऐतिहासिक स्थानावली|लेखक=विजयेन्द्र कुमार माथुर|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=874|url=}}</ref> |
Latest revision as of 07:31, 7 November 2017
वेदश्रुति नदी हिन्दू धार्मिक ग्रंथ वाल्मीकि रामायण में वर्णित एक प्राचीन नदी थी। वाल्मीकि रामायण के वर्णन के अनुसार श्रीराम, लक्ष्मण तथा सीता ने अयोध्या से वन जाते समय कोसल देश की सीमा पर बहने वाली इस नदी को पार किया था-
'एता वाचोमनुष्याणां ग्रामसंवासवासिनां शृण्वन्नतिययौवीरः कोसलान् कोसलेश्वरः। ततो वेदश्रुतिं नाम शिववारिवहां नदीम् उत्तीर्याभिमुखः प्रायादगस्त्याध्युषितां दिशम्।'[1]
- इससे पहले राम, लक्ष्मण तथा सीता ने तमसा नदी के तीर पर वनवास की पहली रात्रि व्यतीत की थी।[2]
- वेदश्रुति के पश्चात् गोमती[3] तथा स्यंदिका[4]को तीनों ने पार किया था।
- इस प्रकार वेदश्रुति, तमसा और गोमती नदियों के बीच में स्थित कोई नदी जान पड़ती है।
- श्री नं. ला. डे के अनुसार यह अवध की बेता (वेता) नदी है।[5]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ वाल्मीकि रामायण, अयोध्या काण्ड 49, 8-9
- ↑ अयोध्या काण्ड 46,1
- ↑ अयोध्या काण्ड 49,10
- ↑ अयोध्या काण्ड 49,11
- ↑ ऐतिहासिक स्थानावली |लेखक: विजयेन्द्र कुमार माथुर |प्रकाशक: राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 874 |