वृहज्जातक: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''वृहज्जातक''' भारत के महान खगोलशास्त्री एवं ज्योत...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
 
Line 6: Line 6:
<references/>
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[https://www.linkedin.com/pulse/%E0%A4%95%E0%A4%AE%E0%A4%A6%E0%A4%B0%E0%A4%AE-%E0%A4%AF%E0%A4%97-%E0%A4%95-%E0%A4%B6%E0%A4%AD-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%85%E0%A4%B6%E0%A4%AD-%E0%A4%AB%E0%A4%B2-astrologer-nakshtraniket केमद्रुम योग के शुभ और अशुभ फल]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{संस्कृत साहित्य2}}
{{संस्कृत साहित्य2}}

Latest revision as of 14:12, 21 March 2018

वृहज्जातक भारत के महान खगोलशास्त्री एवं ज्योतिषाचार्य वराहमिहिर द्वारा रचित ज्योतिष संंबंधी एक ग्रंथ है। वृहज्जातक में वराहमिहिर के अनुसार केमद्रुम योग उस समय होता है जब चंद्रमा के आगे या पीछे वाले भावों में ग्रह न हो अर्थात चंद्रमा से दूसरे और चंद्रमा से द्वादश भाव में कोई भी ग्रह नहीं हो। यह योग इतना अनिष्टकारी नहीं होता जितना कि वर्तमान समय के ज्योतिषियों ने इसे बना दिया है। व्यक्ति को इससे भयभीत नहीं होना चाहिए क्योंकि यह योग व्यक्ति को सदैव बुरे प्रभाव नहीं देता अपितु वह व्यक्ति को जीवन में संघर्ष से जूझने की क्षमता एवं ताकत देता है, जिसे अपनाकर जातक अपना भाग्य निर्माण कर पाने में सक्षम हो सकता है और अपनी बाधाओं से उबर कर आने वाले समय का अभिनंदन कर सकता है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख