धम्म महामात्र: Difference between revisions
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Latest revision as of 07:32, 9 January 2020
धम्म महामात्र या 'धर्म महामात्र' सम्राट अशोक के वे उच्च अधिकारी थे, जो अशोक द्वारा प्रचारित धर्म सम्बंधी मामलों और कार्यों की देखभाल करते थे।[1]
- अपने कार्य की दृष्टि से धम्म महामात्र एक नवीन प्रकार का कर्मचारी था। इन कर्मचारियों का मुख्य कार्य जनता को धम्म की बातें समझाना, उनमें धम्म के प्रति रुचि पैदा करना था।
- धम्म महामात्र समाज के सभी वर्गों- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, दास, निर्धन, वृद्ध के कल्याण तथा सुख के लिए कार्य करते थे। वे सीमांत देशों तथा विदेशों में भी काम करते थे।
- मौर्य साम्राज्य में सभी प्रकार के लोगों तक धम्म महामात्र की पहुँच थी। उनका कार्य था धर्म के मामले में लोगों में सहमति बढ़ाना। ब्राह्मण, श्रमण तथा राजघराने के लोगों को दानशील कार्यों के लिए प्रोत्साहित करना, कारावास से क़ैदियों को मुक्त कराना या उनका दंड कम करवाना तथा लोगों की अन्याय से रक्षा करना।
- धम्म महामात्रों की नियुक्ति से एक वर्ष पूर्व ही अशोक ने साम्राज्य के विभिन्न स्थानों पर धम्म की शिक्षाओं को शिलालेखों में उत्कीर्ण करवाया। [2]
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