तत्त्वार्थ सूत्र: Difference between revisions

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'''तत्त्वार्थ सूत्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tattvartha Sutra'') जैन आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित एक जैन ग्रन्थ है। इसे 'तत्त्वार्थ अधिगम सूत्र' तथा 'मोक्ष शास्त्र' भी कहते हैं। [[संस्कृत भाषा]] में लिखा गया यह प्रथम जैन ग्रंथ माना जाता है। उमास्वामी सभी जैन मतावलम्बियों द्वारा मान्य हैं। उनका जीवन काल द्वितीय शताब्दी है। आचार्य पूज्यपाद द्वारा विरचित 'सर्वार्थसिद्धि', तत्त्वार्थसूत्र पर लिखी गयी एक प्रमुख [[टीका]] है।
'''तत्त्वार्थ सूत्र''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Tattvartha Sutra'') [[जैन]] आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित एक जैन ग्रन्थ है। इसे 'तत्त्वार्थ अधिगम सूत्र' तथा 'मोक्ष शास्त्र' भी कहते हैं। [[संस्कृत भाषा]] में लिखा गया यह प्रथम जैन ग्रंथ माना जाता है। उमास्वामी सभी जैन मतावलम्बियों द्वारा मान्य हैं। उनका जीवन काल द्वितीय शताब्दी है। आचार्य पूज्यपाद द्वारा विरचित 'सर्वार्थसिद्धि', तत्त्वार्थसूत्र पर लिखी गयी एक प्रमुख [[टीका]] है।
==दस अध्याय==
==दस अध्याय==
तत्त्वार्थ सूत्र के दस अध्याय इस प्रकार हैं-
तत्त्वार्थ सूत्र के दस अध्याय इस प्रकार हैं-

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तत्त्वार्थ सूत्र (अंग्रेज़ी: Tattvartha Sutra) जैन आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित एक जैन ग्रन्थ है। इसे 'तत्त्वार्थ अधिगम सूत्र' तथा 'मोक्ष शास्त्र' भी कहते हैं। संस्कृत भाषा में लिखा गया यह प्रथम जैन ग्रंथ माना जाता है। उमास्वामी सभी जैन मतावलम्बियों द्वारा मान्य हैं। उनका जीवन काल द्वितीय शताब्दी है। आचार्य पूज्यपाद द्वारा विरचित 'सर्वार्थसिद्धि', तत्त्वार्थसूत्र पर लिखी गयी एक प्रमुख टीका है।

दस अध्याय

तत्त्वार्थ सूत्र के दस अध्याय इस प्रकार हैं-

  1. दर्शन और ज्ञान
  2. जीव के भेद
  3. उर्ध लोक और मध्य लोक
  4. देव
  5. अजीव के भेद
  6. आस्रव
  7. पाँच व्रत
  8. कर्म बन्ध
  9. निर्जरा
  10. मोक्ष
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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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