काम चरित नारद सब भाषे: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - " जगत " to " जगत् ")
m (Text replacement - "रूख " to "रुख़")
 
Line 39: Line 39:
यद्यपि [[शिव]] ने उन्हें पहले से ही बरज रखा था, तो भी [[नारद]] ने कामदेव का सारा चरित्र भगवान को कह सुनाया। रघुनाथ की माया बड़ी ही प्रबल है। जगत् में ऐसा कौन जन्मा है, जिसे वे मोहित न कर दें।
यद्यपि [[शिव]] ने उन्हें पहले से ही बरज रखा था, तो भी [[नारद]] ने कामदेव का सारा चरित्र भगवान को कह सुनाया। रघुनाथ की माया बड़ी ही प्रबल है। जगत् में ऐसा कौन जन्मा है, जिसे वे मोहित न कर दें।


{{लेख क्रम4| पिछला=हरषि मिले उठि रमानिकेता |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=रूख बदन करि बचन}}
{{लेख क्रम4| पिछला=हरषि मिले उठि रमानिकेता |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=रुख़बदन करि बचन}}


'''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित [[हिन्दी]] का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
'''चौपाई'''- मात्रिक सम [[छन्द]] का भेद है। [[प्राकृत]] तथा [[अपभ्रंश]] के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित [[हिन्दी]] का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। [[तुलसीदास|गोस्वामी तुलसीदास]] ने [[रामचरितमानस]] में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।

Latest revision as of 08:49, 3 February 2021

काम चरित नारद सब भाषे
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
भाषा अवधी भाषा
शैली सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड बालकाण्ड
चौपाई

काम चरित नारद सब भाषे। जद्यपि प्रथम बरजि सिवँ राखे॥
अति प्रचंड रघुपति कै माया। जेहि न मोह अस को जग जाया॥

भावार्थ-

यद्यपि शिव ने उन्हें पहले से ही बरज रखा था, तो भी नारद ने कामदेव का सारा चरित्र भगवान को कह सुनाया। रघुनाथ की माया बड़ी ही प्रबल है। जगत् में ऐसा कौन जन्मा है, जिसे वे मोहित न कर दें।


left|30px|link=हरषि मिले उठि रमानिकेता|पीछे जाएँ काम चरित नारद सब भाषे right|30px|link=रुख़बदन करि बचन|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख