जयराम रमेश: Difference between revisions
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जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को [[राहुल गाँधी]] की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए [[12 जुलाई]], [[2011]] को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो [[हफ़्ता |हफ़्ते]] के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की तत्कालीन [[मुख्यमंत्री]] [[मायावती]] के लिए भी आफत कर दी और राज्य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायतों पर चिट्ठी लिख दी। सामान्यत: विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता '''निखिल डे''' का कहना था कि- "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"। | जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को [[राहुल गाँधी]] की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए [[12 जुलाई]], [[2011]] को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो [[हफ़्ता |हफ़्ते]] के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने [[उत्तर प्रदेश]] की तत्कालीन [[मुख्यमंत्री]] [[मायावती]] के लिए भी आफत कर दी और राज्य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायतों पर चिट्ठी लिख दी। सामान्यत: विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता '''निखिल डे''' का कहना था कि- "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"। |
Latest revision as of 08:26, 10 February 2021
जयराम रमेश
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पूरा नाम | जयराम रमेश |
जन्म | 9 अप्रैल, 1954 |
जन्म भूमि | चिकमंगलूर, कर्नाटक |
अभिभावक | पिता- सी. के. रमेश, माता- श्रीदेवी रमेश |
पति/पत्नी | के. आर. जयश्री |
संतान | दो पुत्र |
नागरिकता | भारतीय |
पार्टी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
पद | ग्रामीण विकास मंत्री, पर्यावरण मंत्री |
कार्य काल | ग्रामीण विकास मंत्री-13 जुलाई, 2011-26 मई, 2014 तक पर्यावरण और वन मंत्री- मई, 2009-12 जुलाई, 2011 तक |
शिक्षा | बी.टेक, एम.एस., एम.आई.टी |
विद्यालय | आई.आई.टी. मुम्बई; कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी, अमेरिका |
अन्य जानकारी | जयराम रमेश कर्नाटक सरकार के उपाध्यक्ष, राज्य योजना बोर्ड, आंध्र प्रदेश के आर्थिक सलाहकार परिषद के रूप में सेवारत रहे हैं। |
अद्यतन | 18:03, 8 अप्रॅल 2020 (IST)
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जयराम रमेश (अंग्रेज़ी: Jairam Ramesh, जन्म: 9 अप्रैल, 1954, चिकमंगलूर, कर्नाटक) एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ हैं। उन्होंने 1990 में वी. पी. सिंह की सरकार में और नरसिम्हा राव प्रशासन में मनमोहन सिंह के वित्त मंत्रालय में काम किया। वह 1996-1998 के बीच वित्त मंत्री पलानप्पन चिदंबरम के सलाहकार रहे। वे कर्नाटक सरकार के उपाध्यक्ष, राज्य योजना बोर्ड, आंध्र प्रदेश के आर्थिक सलाहकार परिषद के रूप में सेवारत रहे हैं। 2004 में जयराम रमेश आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले से राज्य सभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद, उन्हें मनमोहन सिंह के प्रशासन में मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। उन्हें 2010 में फिर से राज्य सभा के लिए चुना गया और उन्हें ग्रामीण विकास मंत्री और पेयजल और स्वच्छता मंत्री बनाया गया। पर्यावरण और वन मंत्री नियुक्त किए जाने के बाद, उन्होंने जानवरों के प्रदर्शन के रूप में बैल के उपयोग पर प्रतिबंध लगा लगाया, जो बाद में 2016 में तमिलनाडु में 'जल्लीकट्टू' के प्रतिबंध में तब्दील हो गया। जयराम रमेश को 2015 में तीसरे कार्यकाल के लिए राज्य सभा के लिए चुना गया।
परिचय
जयराम रमेश का जन्म 9 अप्रैल, 1954 को चिकमंगलूर, कर्नाटक में हुआ था। उनके पिता का नाम सी. के. रमेश और माता का नाम श्रीदेवी रमेश था। जयराम रमेश का परिवार वडागलई समूह का आयंगर ब्राह्मण है। उनकी मातृभाषा तमिल है। जयराम रमेश ने 26 जनवरी 1981 को आयंगर ब्राह्मण के. आर. जयश्री से विवाह किया और अब अपनी पत्नी के साथ लोदी गार्डन, नई दिल्ली में रहते हैं। जयराम रमेश का स्थायी निवास खैरताबाद, हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) में है। अपनी युवावस्था में जयराम रमेश भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से बहुत अधिक प्रभावित थे।
शिक्षा
जयराम रमेश ने अपनी स्कूली शिक्षा रांची के 'सेंट जेवियर स्कूल' से 1961-1963 के मध्य ली। वह तीसरी से पाँचवीं कक्षा तक इस स्कूल में पढ़े। जब उन्होंने पॉल सैमुअल्सन (जो नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री थे) को पढ़ा तो अर्थशास्त्र में ही रुचि लेने लगे। जयराम रमेश ने 1975 में आई.आई.टी. मुम्बई से रसायन अभियांत्रिकी से स्नातक किया। 1975-1977 के दौरान उन्होंने 'कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी' से विज्ञान में सार्वजनिक नीति और प्रबंधन की मास्टर डिग्री ली। इसके अतिरिक्त जयराम रमेश 'भारतीय बिजनेस स्कूल', हैदराबाद के संस्थापक सदस्य भी हैं।
राजनीतिक जीवन
जयराम रमेश को पर्यावरण मंत्रालय से हटाकर ग्रामीण विकास मंत्रालय सौंपा गया था। वे इस मंत्रालय को मीडिया की नजरों में तड़क-भड़क वाला कारनामा बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते आए हैं। वरीयता क्रम में नहीं होने के बावजूद जयराम रमेश मंत्रिमंडल में बहुत तेज़ीसे ऊपर उठे। यूपीए 1 में पहली बार मंत्री बनने के बाद वह यूपीए 2 में कैबिनेट मंत्री बन गए। पर्यावरण मंत्रालय में उनकी अनदेखी करना आसान नहीं था। जयराम रमेश को कैबिनेट दर्जा देकर ग्रामीण विकास मंत्रालय में भेजने के तुरंत बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था, जयराम को ज़्यादा जिम्मेदारी दे दी गई है, जहां उनकी प्रतिभा का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा।
कूटनीतिज्ञ
जयराम रमेश ने भूमि अधिग्रहण एवं पुनर्वास विधेयक को राहुल गाँधी की ओर से मिल रही अहमियत को समझते हुए 12 जुलाई, 2011 को मंत्रालय का चार्ज संभालने के बाद रिकॉर्ड दो हफ़्ते के समय में विधेयक तैयार कर दिया। उन्होंने उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के लिए भी आफत कर दी और राज्य की मनरेगा योजनाओं में भ्रष्टाचार के बारे में शिकायतों पर चिट्ठी लिख दी। सामान्यत: विधेयक स्थायी समिति के पास भेजे जाने के बाद जनता के राय-मशविरे के लिए दिए जाते हैं। सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे का कहना था कि- "उन्होंने अपने मंत्रालय में नई जान डाली है। मनरेगा के तहत उन्होंने बहुत कुछ नया हाथ में नहीं लिया है, लेकिन वे ऐसे काम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिन्हें अमली जामा पहनाया जा सकता है। असली चुनौती यह पक्का करने की है कि उन पर पूरी तरह अमल किया जाए"।
पत्रकारिता लेखन
जयराम रमेश बिजनेस स्टेंडर्ड, बिजनेस टुडे, टाइम्स ऑफ़ इंडिया और इंडिया टुडे जैसे बहुचर्चित पत्र पत्रिकाओं में स्तम्भ लिखते रहे हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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