सासाराम: Difference between revisions
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====शेरशाह का मक़बरा==== | |||
शेरशाह सूरी का शानदार मक़बरा सासाराम में बना हुआ है। सासाराम शेरशाह को इतना प्रिय था कि उसने अपने जीवित रहते हुए ही अपना मक़बरा यहाँ बनवाना प्रारम्भ कर दिया था। यह मक़बरा अपने समय की [[कला]] का श्रेष्ठतम नमूना है। एक विशाल [[झील]] के मध्य उठे हुए चबूतरे पर बना यह मक़बरा शेरशाह के 'व्यक्तित्व का प्रतीक' है। यह [[तुग़लक़ वंश|तुग़लक़]] बादशाहों की इमारतों की सादगी और [[शाहजहाँ]] की इमारतों की स्त्रियोचित सुन्दरता के बीच की कड़ी है। इस भवन का भीतरी भाग [[हिन्दू]] [[वास्तुकला]] से सजाया-सँवारा गया है। इसे [[उत्तर भारत]] की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है। इस पर हिन्दू और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। वस्तुतः [[अकबर]] के राज्यकाल के पूर्व हिन्दू-[[मुसलमान|मुस्लिम]] स्थापत्य के समंवय का सबसे सुन्दर नमूना शेरशाह का मक़बरा है। | |||
==ग्रैण्ड ट्रंक रोड== | |||
सासाराम को अधिकांश लोग लोग [[जगजीवन राम|बाबू जगजीवन राम]] के चुनाव क्षेत्र की तरह जानते हैं। [[इतिहास]] के पन्ने अब धुंधले हो गए हैं और अब कम ही लोगों को सासाराम [[शेरशाह सूरी]] के शहर की तरह याद है। सासाराम शेरशाह सूरी के लिए इतना लगाव वाला शहर था कि उसने अपने जीते जी यहाँ अपना मक़बरा बनवाना शुरू कर दिया था। यह मक़बरा निर्माण कार्यों के प्रति उसके अनुराग का भी उदाहरण है। ठीक उसी तरह जिस तरह से [[ग्रैण्ड ट्रंक रोड]] है। ग्रैण्ड ट्रंक रोड यानी 'जीटी रोड' शेरशाह सूरी के छह साल के शासन काल का ऐसा योगदान है, जिसे इतिहास के पन्नों से कभी मिटाया नहीं जा सकता। [[इतिहासकार]] कहते हैं कि सड़क तो पहले भी थी, लेकिन शेरशाह सूरी ने उसका पुनर्निर्माण करवाया और इसे यात्रा और व्यापार के योग्य बना दिया। | |||
शेरशाह सूरी और ग्रैण्ड ट्रंक रोड पर अध्ययन करने वाले इतिहासकार कहते हैं कि शेरशाह सूरी ने ग्रैण्ड ट्रंक रोड पर सत्रह सौ सरायों का निर्माण करवाया था। कर्मचारियों से युक्त इन सरायों की वजह से व्यापारियों को लूटने आदि की घटना कम होने लगीं, जिससे व्यापार बहुत बढ़ा। नई सड़क तो ठीक है, लेकिन पुरानी ग्रैण्ड ट्रंक रोड की ओर किसी का ध्यान नहीं है। अब तो वहाँ चलने तक की जगह नहीं है, लेकिन अब स्वर्णिम चतुर्भुज के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक दो ने शेरशाह सूरी के सासाराम को मानो किनारे कर दिया है। | |||
==भूगोल== | |||
सासाराम के अंतर्गत दो प्रकार के धरातल हैं- | |||
#कैमूर पहाड़ी | |||
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====कृषि तथा उद्योग==== | |||
पहाड़ी भाग दक्षिण में है तथा जंगली वस्तुओं एवं चूना पत्थर के लिए विख्यात है। मैदानी भाग में प्रधानत: [[धान]] की उपज होती है, पर [[गेहूँ]], [[चना]] आदि रबी की फ़सलें भी महत्वपूर्ण हैं। इसी उपविभाग में डालमिया नगर पड़ता है, जहाँ सीमेंट, [[काग़ज़]] तथा चीनी के कारखानें हैं। सीमेंट का कारखाना बनजारी में भी है। उपविभाग के उत्तरी भाग में सोन नहर प्रणाली द्वारा सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है।<ref>{{cite web |url= http://hindi.indiawaterportal.org/node/34566|title= सहसराम|accessmonthday= 09 अक्टूबर|accessyear= 2014|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= इण्डिया वॉटर पोर्टल|language= हिन्दी}}</ref> | |||
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==संबंधित लेख== | |||
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Latest revision as of 08:01, 9 October 2014
सासाराम
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विवरण | 'सासाराम' बिहार का प्रसिद्ध शहर और पर्यटन स्थल है। अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का बाल्यकाल यहीं व्यतीत हुआ था। यहाँ शेरशाह सूरी का प्रसिद्ध मक़बरा भी है। |
राज्य | बिहार |
ज़िला | रोहतास |
जनसंख्या | 150,042 (2011) |
भाषा | भोजपुरी, हिन्दी, अंग्रेज़ी, उर्दू |
पिनकोड | 821115 |
वाहन पंजिकरण | BR 24 |
संबंधित लेख | बिहार पर्यटन, शेरशाह सूरी, ग्रैण्ड ट्रंक रोड |
अन्य जानकारी | सासाराम शेरशाह सूरी के लिए इतना लगाव वाला शहर था कि उसने अपने जीते जी यहाँ अपना मक़बरा बनवाना शुरू कर दिया था। यह मक़बरा निर्माण कार्यों के प्रति उसके अनुराग का भी उदाहरण है। ठीक उसी तरह जिस तरह से ग्रैण्ड ट्रंक रोड है। |
सासाराम बिहार का प्रसिद्ध शहर है। यह रोहतास ज़िले में है और ज़िले का मुख्यालय है। इसे 'सहसराम' भी कहा जाता है। सूर वंश के संस्थापक अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का मक़बरा सासाराम में है। देश का प्रसिद्ध 'ग्रैण्ड ट्रंक रोड' भी इसी शहर से होकर गुज़रता है। भारतीय इतिहास के दृष्टिकोण से सासाराम कई अति महत्त्वपूर्ण घटनाओं और बदलावों का साक्षी रहा है।
इतिहास
सासाराम के समीप एक पहाड़ी पर गुफ़ा में अशोक का लघु शिलालेख संख्या एक उत्कीर्ण है। अफ़ग़ान शासक शेरशाह सूरी का बाल्यकाल यहीं बीता था। शेरशाह सूरी ने युवा होने पर सासाराम में 21वर्षों तक सफल शासन व्यवस्था क़ायम की। सासारम उसके पिता की जागीर थी। इस समय का उसका सबसे महत्त्वपूर्ण काम लगान सम्बन्धी एक श्रेष्ठ व्यवस्था की स्थापना करना था।
शेरशाह का मक़बरा
शेरशाह सूरी का शानदार मक़बरा सासाराम में बना हुआ है। सासाराम शेरशाह को इतना प्रिय था कि उसने अपने जीवित रहते हुए ही अपना मक़बरा यहाँ बनवाना प्रारम्भ कर दिया था। यह मक़बरा अपने समय की कला का श्रेष्ठतम नमूना है। एक विशाल झील के मध्य उठे हुए चबूतरे पर बना यह मक़बरा शेरशाह के 'व्यक्तित्व का प्रतीक' है। यह तुग़लक़ बादशाहों की इमारतों की सादगी और शाहजहाँ की इमारतों की स्त्रियोचित सुन्दरता के बीच की कड़ी है। इस भवन का भीतरी भाग हिन्दू वास्तुकला से सजाया-सँवारा गया है। इसे उत्तर भारत की श्रेष्ठ इमारतों में से एक कहा गया है। इस पर हिन्दू और इस्लामी कला का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है। वस्तुतः अकबर के राज्यकाल के पूर्व हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य के समंवय का सबसे सुन्दर नमूना शेरशाह का मक़बरा है।
ग्रैण्ड ट्रंक रोड
सासाराम को अधिकांश लोग लोग बाबू जगजीवन राम के चुनाव क्षेत्र की तरह जानते हैं। इतिहास के पन्ने अब धुंधले हो गए हैं और अब कम ही लोगों को सासाराम शेरशाह सूरी के शहर की तरह याद है। सासाराम शेरशाह सूरी के लिए इतना लगाव वाला शहर था कि उसने अपने जीते जी यहाँ अपना मक़बरा बनवाना शुरू कर दिया था। यह मक़बरा निर्माण कार्यों के प्रति उसके अनुराग का भी उदाहरण है। ठीक उसी तरह जिस तरह से ग्रैण्ड ट्रंक रोड है। ग्रैण्ड ट्रंक रोड यानी 'जीटी रोड' शेरशाह सूरी के छह साल के शासन काल का ऐसा योगदान है, जिसे इतिहास के पन्नों से कभी मिटाया नहीं जा सकता। इतिहासकार कहते हैं कि सड़क तो पहले भी थी, लेकिन शेरशाह सूरी ने उसका पुनर्निर्माण करवाया और इसे यात्रा और व्यापार के योग्य बना दिया।
शेरशाह सूरी और ग्रैण्ड ट्रंक रोड पर अध्ययन करने वाले इतिहासकार कहते हैं कि शेरशाह सूरी ने ग्रैण्ड ट्रंक रोड पर सत्रह सौ सरायों का निर्माण करवाया था। कर्मचारियों से युक्त इन सरायों की वजह से व्यापारियों को लूटने आदि की घटना कम होने लगीं, जिससे व्यापार बहुत बढ़ा। नई सड़क तो ठीक है, लेकिन पुरानी ग्रैण्ड ट्रंक रोड की ओर किसी का ध्यान नहीं है। अब तो वहाँ चलने तक की जगह नहीं है, लेकिन अब स्वर्णिम चतुर्भुज के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक दो ने शेरशाह सूरी के सासाराम को मानो किनारे कर दिया है।
भूगोल
सासाराम के अंतर्गत दो प्रकार के धरातल हैं-
- कैमूर पहाड़ी
- मैदानी भाग
कृषि तथा उद्योग
पहाड़ी भाग दक्षिण में है तथा जंगली वस्तुओं एवं चूना पत्थर के लिए विख्यात है। मैदानी भाग में प्रधानत: धान की उपज होती है, पर गेहूँ, चना आदि रबी की फ़सलें भी महत्वपूर्ण हैं। इसी उपविभाग में डालमिया नगर पड़ता है, जहाँ सीमेंट, काग़ज़ तथा चीनी के कारखानें हैं। सीमेंट का कारखाना बनजारी में भी है। उपविभाग के उत्तरी भाग में सोन नहर प्रणाली द्वारा सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख