सुमन कल्याणपुर को पुरस्कार: Difference between revisions
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करीब 5 साल पहले सुमन के पति का निधन हुआ था और अब वो खार (पश्चिम) में ही रोड नंबर 12 पर अपनी शादीशुदा बेटी चारू अग्नि के साथ रहती हैं। इस दौरान वो साल 2010 में एक-दो सम्मान समारोहों में | करीब 5 साल पहले सुमन के पति का निधन हुआ था और अब वो खार (पश्चिम) में ही रोड नंबर 12 पर अपनी शादीशुदा बेटी चारू अग्नि के साथ रहती हैं। इस दौरान वो साल 2010 में एक-दो सम्मान समारोहों में ज़रूर नजर आयीं जब महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें '[[लता मंगेशकर पुरस्कार]] - [[2009]]' से सम्मानित किया। लेकिन बाहरी लोगों से उनका सम्पर्क अब लगभग खत्म हो चुका है। यहाँ तक कि अब उन्हें किसी से फोन पर बात करना भी मंजूर नहीं है।<ref >{{cite web |url=https://www.facebook.com/147599645445425/photos/a.147601455445244.1073741827.147599645445425/345860238952697/?type=3&theater|title=सुमन कल्याणपुर |accessmonthday=[[21 जून]] |accessyear=[[2017]] |last= |first= |authorlink=|format= |publisher=facebook.com|language=[[हिन्दी]]}}</ref> | ||
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Latest revision as of 10:44, 2 January 2018
सुमन कल्याणपुर को पुरस्कार
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पूरा नाम | सुमन कल्याणपुर |
जन्म | 28 जनवरी, 1937 |
जन्म भूमि | ढाका, बंगाल (आज़ादी से पूर्व) |
अभिभावक | पिता- शंकर राव हेमाडी |
पति/पत्नी | रामानंद कल्याणपुर |
कर्म भूमि | मुम्बई |
कर्म-क्षेत्र | गायन |
विषय | भारतीय शास्त्रीय संगीत, लोक संगीत, भजन, गज़ल |
पुरस्कार-उपाधि | दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 1961 पद्म भूषण, 2023 |
प्रसिद्धि | पार्श्वगायिका |
नागरिकता | भारतीय |
मुख्य गीत | इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना, परबतों के पेड़ों पर, ये मौसम रंगीन समां, आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर |
सक्रिय वर्ष | 1954–1988 |
अन्य जानकारी | करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया। |
अद्यतन | 15:22, 8 जुलाई 2023 (IST)
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सुमन कल्याणपुर हिन्दी सिनेमा की मशहूर गायिका है। पुराने जमाने के उनके गीत आज भी काफ़ी मशहूर है। इनमें ना तुम जानों न हम, दिल गम से जल रहा है, मेरे संग गा, मेरे महबूब न जा, जो हम पे गुजरती है, बहना ने भाई की कलाई में, आदि कई गाने काफ़ी हिट हो चुके हैं।[1]
पुरस्कार
सुमन करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने न सिर्फ पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया बल्कि रसरंग (नासिक) का 'फाल्के पुरस्कार' (1961), सुर सिंगार संसद का 'मियां तानसेन पुरस्कार' (1965 और 1970), 'महाराष्ट्र राय फ़िल्म पुरस्कार' (1965 और 1966), 'गुजरात राय फ़िल्म पुरस्कार' (1970 से 1973 तक लगातार) जैसे करीब एक दर्जन पुरस्कार भी हासिल किए। करीब 5 साल पहले सुमन के पति का निधन हुआ था और अब वो खार (पश्चिम) में ही रोड नंबर 12 पर अपनी शादीशुदा बेटी चारू अग्नि के साथ रहती हैं। इस दौरान वो साल 2010 में एक-दो सम्मान समारोहों में ज़रूर नजर आयीं जब महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें 'लता मंगेशकर पुरस्कार - 2009' से सम्मानित किया। लेकिन बाहरी लोगों से उनका सम्पर्क अब लगभग खत्म हो चुका है। यहाँ तक कि अब उन्हें किसी से फोन पर बात करना भी मंजूर नहीं है।[2]
सुमन के लोकप्रिय गीत
- इतने बड़े जहां में अपना भी कोई होता (डार्क स्ट्रीट)
- इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना (शमा)
- जूही की कली मेरी लाड़ली (दिल एक मंदिर)
- अपने पिया की मैं तो बनी रे जोगनियां (कण कण में भगवान)
- तुझे प्यार करते हैं करते रहेंगे (अप्रैल फूल)
- हाले-दिल उनको सुनाना था (फरियाद)
- परबतों के पेड़ों पर (शगुन)
- ना-ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे (जब-जब फूल खिले)
- ठहरिये होश में आ लूं, तो चले जाइएगा (मोहब्बत इसको कहते हैं)
- ये मौसम रंगीन समां (मॉडर्न गर्ल)
- बहना ने भाई की कलाई से प्यार बांधा है (रेशम की डोरी)[3]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ मुझसे छीना गया था 'ए मेरे वतन के लोगों' : सुमन कल्याणपुर (हिन्दी) bhaskar.com। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2017।
- ↑ सुमन कल्याणपुर (हिन्दी) facebook.com। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2017।
- ↑ सुमन कल्याणपुर : इक जुर्म करके हमने चाहा था मुस्कुराना.... (हिन्दी) webdunia.com। अभिगमन तिथि: 21 जून, 2017।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
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