फिसलनी शिला काम्यवन: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
m (Text replacement - " महान " to " महान् ")
 
(4 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{incomplete}}
{{सूचना बक्सा पर्यटन
कलावता ग्राम के पास में इन्द्रसेन पर्वत पर फिसलनी शिला विद्यमान है। गोचारण करने के समय श्री [[कृष्ण]] सखाओं के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करते थे। कभी–कभी [[राधा|राधिकाजी]] भी सखियों के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करती थीं। आज भी निकट गाँव के लड़के गोचारण करते समय बड़े आनन्द से यहाँ पर फिसलने की क्रीड़ा करते हैं। यात्री भी इस क्रीड़ा कौतुकवाली शिला को दर्शन करने के लिए जाते हैं।
|चित्र=Blank-Image-2.jpg
|चित्र का नाम=
|विवरण='फिसलनी शिला' [[ब्रज]] में स्थित कलावता ग्राम के पास [[इन्द्रसेन (पर्वत)|इन्द्रसेन पर्वत]] पर अवस्थित है। यहाँ [[श्रीकृष्ण]] अपने सखाओं के साथ गोचारण करने के समय फिसलने की क्रीड़ा करते थे।
|राज्य=[[उत्तर प्रदेश]]
|केन्द्र शासित प्रदेश=
|ज़िला=[[मथुरा]]
|निर्माता=
|स्वामित्व=
|प्रबंधक=
|निर्माण काल=
|स्थापना=
|भौगोलिक स्थिति=
|मार्ग स्थिति=
|मौसम=
|तापमान=
|प्रसिद्धि=धार्मिक स्थल
|कब जाएँ=कभी भी
|कैसे पहुँचें=
|हवाई अड्डा=
|रेलवे स्टेशन=
|बस अड्डा=
|यातायात=बस, कार, ऑटो आदि।
|क्या देखें=[[व्योमासुर गुफ़ा काम्यवन|व्योमासुर गुफ़ा]], [[गया कुण्ड काम्यवन|गया कुण्ड]], [[गोविन्द कुण्ड काम्यवन|गोविन्द कुण्ड]], [[घोषरानी कुण्ड काम्यवन|घोषरानी कुण्ड]], [[दोहनी कुण्ड काम्यवन|दोहनी कुण्ड]]।
|कहाँ ठहरें=
|क्या खायें=
|क्या ख़रीदें=
|एस.टी.डी. कोड=
|ए.टी.एम=
|सावधानी=
|मानचित्र लिंक=
|संबंधित लेख=[[मथुरा]], [[ब्रज]], [[कृष्ण]], [[राधा]], [[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा]] आदि।
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं और शिला पर फिसलने का आनन्द लेते हैं
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन={{अद्यतन|13:33, 13 अगस्त 2016 (IST)}}
}}
'''फिसलनी शिला''' [[ब्रज]] में कलावता ग्राम के पास इन्द्रसेन [[पर्वत]] पर अवस्थित है। ऐसी मान्यता है कि, गोचारण करने के समय श्री [[कृष्ण]] अपने सखाओं के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करते थे। कभी–कभी [[राधा]] जी भी सखियों के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करती थीं। आज भी गाँव के लड़के गोचारण करते समय बड़े आनन्द से यहाँ पर फिसलने की क्रीड़ा करते हैं। ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं।


*फिसलनी शिला का स्वरूप किसी भी पार्क में लगे स्लाइडर के समान है, जिस पर एक तरफ़ से ऊंचा चढ़कर दूसरी तरफ़ से फिसलते हुए बच्चे नीचे आते हैं।
*[[ब्रज चौरासी कोस की यात्रा]] को आने वाले लाखों तीर्थयात्री पिछले 5000 वर्षों से इस शिला पर फिसलने का आनन्द लेते थे।
*अनेक महान् [[संत]] और आचार्य भी शिला पर फिसलकर भगवतलीला का स्मरण करते थे।
*वर्तमान समय में निकट के पहाड़ पर होने वाले डायनामाइट के धमाकों से फिसलनी शिला कई जगह से फट गई है।


{{लेख प्रगति
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध=}}
|आधार=आधार1
|प्रारम्भिक=
|माध्यमिक=
|पूर्णता=
|शोध=
}}
 
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}
{{ब्रज के दर्शनीय स्थल}}

Latest revision as of 11:06, 1 August 2017

फिसलनी शिला काम्यवन
विवरण 'फिसलनी शिला' ब्रज में स्थित कलावता ग्राम के पास इन्द्रसेन पर्वत पर अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ गोचारण करने के समय फिसलने की क्रीड़ा करते थे।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
प्रसिद्धि धार्मिक स्थल
कब जाएँ कभी भी
यातायात बस, कार, ऑटो आदि।
क्या देखें व्योमासुर गुफ़ा, गया कुण्ड, गोविन्द कुण्ड, घोषरानी कुण्ड, दोहनी कुण्ड
संबंधित लेख मथुरा, ब्रज, कृष्ण, राधा, ब्रज चौरासी कोस की यात्रा आदि।


अन्य जानकारी ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं और शिला पर फिसलने का आनन्द लेते हैं
अद्यतन‎

फिसलनी शिला ब्रज में कलावता ग्राम के पास इन्द्रसेन पर्वत पर अवस्थित है। ऐसी मान्यता है कि, गोचारण करने के समय श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करते थे। कभी–कभी राधा जी भी सखियों के साथ यहाँ फिसलने की क्रीड़ा करती थीं। आज भी गाँव के लड़के गोचारण करते समय बड़े आनन्द से यहाँ पर फिसलने की क्रीड़ा करते हैं। ब्रज यात्रा के समय यात्री भी इस क्रीड़ा शिला के दर्शन करने के लिए जाते हैं।

  • फिसलनी शिला का स्वरूप किसी भी पार्क में लगे स्लाइडर के समान है, जिस पर एक तरफ़ से ऊंचा चढ़कर दूसरी तरफ़ से फिसलते हुए बच्चे नीचे आते हैं।
  • ब्रज चौरासी कोस की यात्रा को आने वाले लाखों तीर्थयात्री पिछले 5000 वर्षों से इस शिला पर फिसलने का आनन्द लेते थे।
  • अनेक महान् संत और आचार्य भी शिला पर फिसलकर भगवतलीला का स्मरण करते थे।
  • वर्तमान समय में निकट के पहाड़ पर होने वाले डायनामाइट के धमाकों से फिसलनी शिला कई जगह से फट गई है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

संबंधित लेख