अमरुद: Difference between revisions
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अमरुद का वृक्ष आमतौर पर [[भारत]] के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमज़ोर होती है। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली | अमरुद का वृक्ष आमतौर पर [[भारत]] के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमज़ोर होती है। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफ़ेद छाल से आच्छादित रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है। पत्ते हल्के हरे रंग के, स्पर्ष में खुरदरे, 3 से 4 इंच लम्बे, आयताकार, सुगंधयुक्त, डंठल छोटे होते है। | ||
अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर जमीन की सतह से ही विभाजित रहता है। इसकी शाखायें फैलने वाली और छाल चिकनी, परतदार एवं आसानी से निकलने वाली होती है। नये प्ररोह छोटे, रोमयुक्त तथा आयताकार या चौकोर होते हैं। | अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर जमीन की सतह से ही विभाजित रहता है। इसकी शाखायें फैलने वाली और छाल चिकनी, परतदार एवं आसानी से निकलने वाली होती है। नये प्ररोह छोटे, रोमयुक्त तथा आयताकार या चौकोर होते हैं। | ||
प्रजनन तंत्रः फूल पत्तियों के अक्ष में, नई वृद्धि पर आते हैं। ये एकल अथवा दो या तीन के ससीमाक्ष में होते हैं। फूल का रंग | प्रजनन तंत्रः फूल पत्तियों के अक्ष में, नई वृद्धि पर आते हैं। ये एकल अथवा दो या तीन के ससीमाक्ष में होते हैं। फूल का रंग सफ़ेद होता है। फल सरस और बाह्नय दल पुंज बाहु से घिरे रहते हैं। बीज हल्के सफ़ेद से भूरे-[[सफ़ेद रंग]] के और बीज चोल कड़ा होता है। | ||
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==अमरुद से होने वाले नुक़सान== | ==अमरुद से होने वाले नुक़सान== | ||
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*वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे | *वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफ़ेद कृमि पैदा होने से खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसे विकार हो सकते है। | ||
*अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते है। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए। | *अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते है। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए। | ||
Revision as of 14:12, 12 February 2011
thumb|250px|अमरुद
Guava
अमरुद भारत में पाया जाने वाला एक फल है। अमरुद हरे रंग का होता है। अमरुद का वैज्ञानिक नाम सीडीयम गुयायावा है। अमरुद लाल और पीताभ सफ़ेद रंग लिए हुए होते है। बीज वाले और बिना बीज वाले तथा अत्यंत मीठे और खट्ठे-मीठे प्रकार के अमरुद आमतौर पर देखने को मिलते है। सफ़ेद की अपेक्षा लाल रंग के अमरुद गुणकारी होते है। सफ़ेद गुदे वाले अमरुद अधिक मीठे होते है। फल का भार आमतौर पर 30 से 450 ग्राम तक होता है।[1]
अमरुद की दो किस्में होती हैः- पहला सफ़ेद गर्भवाली और दुसरा लाल-गुलाबी गर्भवाली। सफ़ेद किस्म अधिक मीठी होती है। कलमी अमरुद में अच्छी किस्म के अमरुद भी होते है। वे बहुत बड़े होते है। और उसमें मुश्किल से 4-5 बीज निकलते है। बनारस (उत्तर प्रदेश) में इस प्रकार के अमरुद होते है।
अमरुद का रासायनिक संगठन
तत्त्व | मात्रा | तत्त्व | मात्रा |
---|---|---|---|
पानी | 7.6 प्रतिशत | कार्बोहाड्रेट | 14.6% |
प्रोटीन | 1.5% | कैल्शियम | 0.01% |
वसा | 0.2% | फास्फोरस | 0.4% |
खनिज पदार्थ | 7.8% | रेशा | 6.9% |
विटामिन-सी | 299 मिली ग्राम/100 ग्राम |
अमरूद का विकास
अमरूद का मूल स्थान उष्ण कटिबंधीय अमेरिका है। विशेषतया मैक्सिको से पेरू तक का क्षेत्र। यहाँ से अमरूद संसार के अन्य उष्ण और उपोष्ण भागों में फैला। शायद भारत में इसका प्रवेश स्पेनवाशियों द्वारा 16वीं शताब्दी में हुआ।
अमरूद का वितरण
भारत में इसकी खेती 1.55 लाख क्षेत्रफल में की जाती हैं तथा वार्षिक उत्पादन 17.93 लाख टन ही है जो कि अन्य देशों से काफ़ी कम है। इसकी व्यवसाययिक बागवानी विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और गुजरात में होती है।[2]
अमरूद का वृक्ष
अमरुद का वृक्ष आमतौर पर भारत के सभी राज्यों में उगाया जाता है। उत्तर प्रदेश का इलाहाबादी अमरुद विश्व विख्यात है। यह विशेष रूप से स्वादिष्ठ होता है। इसके पेड़ की उंचाई 10 से 20 फीट होती है। टहनियां पतली-पतली और कमज़ोर होती है। तने का पृष्ठ चिकना, भूरे रंग का, पतली सफ़ेद छाल से आच्छादित रहता है। छाल के नीचे की लकड़ी चिकनी होती है। पत्ते हल्के हरे रंग के, स्पर्ष में खुरदरे, 3 से 4 इंच लम्बे, आयताकार, सुगंधयुक्त, डंठल छोटे होते है। अमरूद का वृक्ष छोटा होता है । इसका तना आमतौर पर जमीन की सतह से ही विभाजित रहता है। इसकी शाखायें फैलने वाली और छाल चिकनी, परतदार एवं आसानी से निकलने वाली होती है। नये प्ररोह छोटे, रोमयुक्त तथा आयताकार या चौकोर होते हैं। प्रजनन तंत्रः फूल पत्तियों के अक्ष में, नई वृद्धि पर आते हैं। ये एकल अथवा दो या तीन के ससीमाक्ष में होते हैं। फूल का रंग सफ़ेद होता है। फल सरस और बाह्नय दल पुंज बाहु से घिरे रहते हैं। बीज हल्के सफ़ेद से भूरे-सफ़ेद रंग के और बीज चोल कड़ा होता है।
अमरुद के फ़ायदे
- अमरुद में विटामिन सी और शर्करा काफ़ी मात्रा में होती है।
- अमरुद में पेक्टिन की मात्रा भी बहुत अधिक होती है।
- अमरुद को इसके बीजों के साथ खाना अत्यंत उपयोगी होता है। जिसके कारण पेट साफ रहता है।
- अमरुद को चटनियां, जेली, मुरब्बा और फल से पनीर बनाने के काम में लिया जाता है।
अमरुद से होने वाले नुक़सान
- शीत प्रकृति वालों को और जिनका आमाशय कमज़ोर हो, उनके लिए अमरुद हानिकारक होता है।
- वर्षा ऋतु में उत्पन्न अमरुद के अंदर सूक्ष्म धागे जैसे सफ़ेद कृमि पैदा होने से खाने वाले व्यक्ति को पेट दर्द, अफारा, हैजा जैसे विकार हो सकते है।
- अमरुद के बीज सख्त होने के कारण आसानी से नहीं पचते और यदि ये एपेन्डिक्स में चले जाऐ, तो एपेन्डिसाइटिस रोग पैदा कर सकते है। अतः इनके बीजों के सेवन से बचना चाहिए।
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