देवरत्तनम नृत्य: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
गोविन्द राम (talk | contribs) m (Adding category Category:संस्कृति कोश (को हटा दिया गया हैं।)) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "सजा " to "सज़ा ") |
||
Line 1: | Line 1: | ||
देवरत्तम विशुद्ध रूप से [[लोक नृत्य]] है, जिसे अब तक [[तमिलनाडु]] के [[मदुराई ज़िला|मदुराई ज़िले]] के कोडानगपट्टी के वीरापंड्या काटाबोम्मन राजवंश के वंशजों द्वारा बचाए रखा गया है। वस्तुत: यह वर्ष में एक बार मंदिर के नज़दीक किया जाता था और वह भी केवल उस समाज तक ही सीमित था। लोक साहित्य के शोध विद्वानों ने यह पाया है कि देवरत्तम पुरातन तमिल राजाओं के प्राचीन 'मुन्थेर कुरूवाई' और 'पिन्थेर कुरूवाई' का मिश्रण है। यह युद्ध भूमि से राजा व उसकी सेना के विजयी होकर लौटने पर रथ के सामने व रथ पर किया जाता था। यहाँ तक कि कभी-कभी राजा व उसके सेना अधिकारी रथ के मंच पर नृत्य करते थे। सैनिक व नर्तकियाँ पंक्तियाँ बनाकर रथ के पीछे नृत्य करते थे। अब, इस नृत्य में कोई गीत नहीं होते, परन्तु केवल उरूमी मेलम, थप्पू मेलम और कभी-कभी लम्बी बांसुरी के ताल पर नृत्य किया जाता है। इस नृत्य का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति नकली दाढ़ी व सीपियों (शेल्स) से | देवरत्तम विशुद्ध रूप से [[लोक नृत्य]] है, जिसे अब तक [[तमिलनाडु]] के [[मदुराई ज़िला|मदुराई ज़िले]] के कोडानगपट्टी के वीरापंड्या काटाबोम्मन राजवंश के वंशजों द्वारा बचाए रखा गया है। वस्तुत: यह वर्ष में एक बार मंदिर के नज़दीक किया जाता था और वह भी केवल उस समाज तक ही सीमित था। लोक साहित्य के शोध विद्वानों ने यह पाया है कि देवरत्तम पुरातन तमिल राजाओं के प्राचीन 'मुन्थेर कुरूवाई' और 'पिन्थेर कुरूवाई' का मिश्रण है। यह युद्ध भूमि से राजा व उसकी सेना के विजयी होकर लौटने पर रथ के सामने व रथ पर किया जाता था। यहाँ तक कि कभी-कभी राजा व उसके सेना अधिकारी रथ के मंच पर नृत्य करते थे। सैनिक व नर्तकियाँ पंक्तियाँ बनाकर रथ के पीछे नृत्य करते थे। अब, इस नृत्य में कोई गीत नहीं होते, परन्तु केवल उरूमी मेलम, थप्पू मेलम और कभी-कभी लम्बी बांसुरी के ताल पर नृत्य किया जाता है। इस नृत्य का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति नकली दाढ़ी व सीपियों (शेल्स) से सज़ा हुआ दांतों जैसा दिखने वाला मुखौटा लगाता है। वह पहले नृत्य करता है व दूसरे उसका अनुसरण करते हैं। | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== |
Revision as of 07:19, 3 March 2011
देवरत्तम विशुद्ध रूप से लोक नृत्य है, जिसे अब तक तमिलनाडु के मदुराई ज़िले के कोडानगपट्टी के वीरापंड्या काटाबोम्मन राजवंश के वंशजों द्वारा बचाए रखा गया है। वस्तुत: यह वर्ष में एक बार मंदिर के नज़दीक किया जाता था और वह भी केवल उस समाज तक ही सीमित था। लोक साहित्य के शोध विद्वानों ने यह पाया है कि देवरत्तम पुरातन तमिल राजाओं के प्राचीन 'मुन्थेर कुरूवाई' और 'पिन्थेर कुरूवाई' का मिश्रण है। यह युद्ध भूमि से राजा व उसकी सेना के विजयी होकर लौटने पर रथ के सामने व रथ पर किया जाता था। यहाँ तक कि कभी-कभी राजा व उसके सेना अधिकारी रथ के मंच पर नृत्य करते थे। सैनिक व नर्तकियाँ पंक्तियाँ बनाकर रथ के पीछे नृत्य करते थे। अब, इस नृत्य में कोई गीत नहीं होते, परन्तु केवल उरूमी मेलम, थप्पू मेलम और कभी-कभी लम्बी बांसुरी के ताल पर नृत्य किया जाता है। इस नृत्य का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति नकली दाढ़ी व सीपियों (शेल्स) से सज़ा हुआ दांतों जैसा दिखने वाला मुखौटा लगाता है। वह पहले नृत्य करता है व दूसरे उसका अनुसरण करते हैं।