सरयू नदी: Difference between revisions
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
शिल्पी गोयल (talk | contribs) No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "महत्वपूर्ण" to "महत्त्वपूर्ण") |
||
Line 4: | Line 4: | ||
[[रामचरित मानस]] की इस चौपाई में सरयू नदी को [[अयोध्या]] की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। [[राम]] की जन्म-भूमि अयोध्या [[उत्तर प्रदेश]] में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को [[अथर्ववेद]] में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। | [[रामचरित मानस]] की इस चौपाई में सरयू नदी को [[अयोध्या]] की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। [[राम]] की जन्म-भूमि अयोध्या [[उत्तर प्रदेश]] में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को [[अथर्ववेद]] में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। | ||
==ऐतिहासिकता== | ==ऐतिहासिकता== | ||
नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से | नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। [[रामायण]] के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम [[उत्तर प्रदेश]] के [[बहराइच]] ज़िले से हुआ है। बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है। पहले यह नदी गोंडा के परसपुर तहसील में पसका नामक तीर्थ स्थान पर [[घाघरा नदी]] से मिलती थी। पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे चंदापुर नामक स्थान पर मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी घाघरा के नाम से जानी जाती है। सरयू नदी की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है। हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण [[हिंदू]] धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है। सरयू नदी का वर्णन [[ऋग्वेद]] में भी मिलता है। | ||
==प्रदूषण== | ==प्रदूषण== |
Revision as of 11:26, 27 August 2011
[[चित्र:Shri-Rama.jpg|thumb|भगवान श्रीराम]]
'अवधपुरी मम पुरी सुहावनि,
दक्षिण दिश बह सरयू पावनी' [1]
रामचरित मानस की इस चौपाई में सरयू नदी को अयोध्या की पहचान का प्रमुख चिह्न बताया गया है। राम की जन्म-भूमि अयोध्या उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के दाएँ तट पर स्थित है। अयोध्या हिन्दुओं के प्राचीन और सात पवित्र तीर्थस्थलों में एक है। अयोध्या को अथर्ववेद में ईश्वर का नगर बताया गया है और इसकी संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है।
ऐतिहासिकता
नदियों में ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण सरयू नदी का अस्तित्व भी अब खतरे में है। रामायण के अनुसार भगवान राम ने इसी नदी में जल समाधि ली थी। सरयू नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले से हुआ है। बहराइच से निकलकर यह नदी गोंडा से होती हुई अयोध्या तक जाती है। पहले यह नदी गोंडा के परसपुर तहसील में पसका नामक तीर्थ स्थान पर घाघरा नदी से मिलती थी। पर अब यहां बांध बन जाने से यह नदी पसका से क़रीब 8 किलोमीटर आगे चंदापुर नामक स्थान पर मिलती है। अयोध्या तक ये नदी सरयू के नाम से जानी जाती है, लेकिन उसके बाद यह नदी घाघरा के नाम से जानी जाती है। सरयू नदी की कुल लंबाई लगभग 160 किलोमीटर है। हिंदुओं के पवित्र देवता भगवान श्री राम के जन्मस्थान अयोध्या से हो कर बहने के कारण हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्व है। सरयू नदी का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है।
प्रदूषण
[[चित्र:View-Of-Ayodhya-3.jpg|thumb|अयोध्या का एक दृश्य]] पर अब यह ऐतिहासिक नदी अपनी महत्व खोती जा रही है। लगातार होती छेड़छाड़ और मानवीय द़खल के कारण इस नदी का अस्तित्व अब खतरे में है।
ऐसा माना जाता है कि है कि इस नदी के पानी में चर्म रोगों को दूर करने की अद्भुत शक्ति है। इस नदी में विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं के साथ ही ऐसी वनस्पतियां भी हैं, जो नदी के पानी को शुद्ध कर पानी में औषधीय शक्ति को भी बढ़ाती हैं।[2]
- इसे घाघरा नदी के नाम से भी जाना जाता है।
{{#icon: Redirect-01.gif|ध्यान दें}} अधिक जानकारी के लिए देखें:- घाघरा नदी
टीका टिप्पणी
- ↑ रामचरित मानस
- ↑ अब सरयू नदी भी खतरे में (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 20 मई, 2011।
सम्बंधित लेख