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कबर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[रुहेलखंड]] में स्थित एक ग्राम है जो प्राचीन नगर शेरगढ़ का एक भाग है। यह देवरानियाँ स्टेशन (उत्तर पूर्व रेलवे) से सात मील है। कबर में पहले [[हिन्दू|हिंदुओं]] का राज्य था। जलालुद्दीन ख़िलजी ने 1290 ई. में इसे पहली बार हिंदुओं से छीन लिया था। 1540 ई. में [[शेरशाह सूरी]] ने यहाँ शेरगढ़ का क़िला बनवाया। कबर के दक्षिण में एक सुंदर ताल हे जिसे ख्वास ताल कहते हैं। इसे शेरशाह के सेनापति ख्वास | कबर [[उत्तर प्रदेश]] राज्य के [[रुहेलखंड]] में स्थित एक ग्राम है जो प्राचीन नगर शेरगढ़ का एक भाग है। यह देवरानियाँ स्टेशन (उत्तर पूर्व रेलवे) से सात मील है। कबर में पहले [[हिन्दू|हिंदुओं]] का राज्य था। जलालुद्दीन ख़िलजी ने 1290 ई. में इसे पहली बार हिंदुओं से छीन लिया था। 1540 ई. में [[शेरशाह सूरी]] ने यहाँ शेरगढ़ का क़िला बनवाया। कबर के दक्षिण में एक सुंदर ताल हे जिसे ख्वास ताल कहते हैं। इसे शेरशाह के सेनापति ख्वास ख़ाँ मसनद अली ने बनवाया था। कबर से उत्तर-पश्चिम की ओर रानीताल है जिसे किंवदंती के अनुसार राजा बेन की रानी केतकी ने बनवाया था। राजा बेन या वेणु के विषय में रुहेलखंड में अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं। | ||
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कबर उत्तर प्रदेश राज्य के रुहेलखंड में स्थित एक ग्राम है जो प्राचीन नगर शेरगढ़ का एक भाग है। यह देवरानियाँ स्टेशन (उत्तर पूर्व रेलवे) से सात मील है। कबर में पहले हिंदुओं का राज्य था। जलालुद्दीन ख़िलजी ने 1290 ई. में इसे पहली बार हिंदुओं से छीन लिया था। 1540 ई. में शेरशाह सूरी ने यहाँ शेरगढ़ का क़िला बनवाया। कबर के दक्षिण में एक सुंदर ताल हे जिसे ख्वास ताल कहते हैं। इसे शेरशाह के सेनापति ख्वास ख़ाँ मसनद अली ने बनवाया था। कबर से उत्तर-पश्चिम की ओर रानीताल है जिसे किंवदंती के अनुसार राजा बेन की रानी केतकी ने बनवाया था। राजा बेन या वेणु के विषय में रुहेलखंड में अनेक लोककथाएं प्रचलित हैं।