चक्रतीर्थ मथुरा: Difference between revisions
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Revision as of 10:22, 16 June 2010
चक्रतीर्थं तु विख्यातं माथुरे मम मण्डले ।
यस्तत्र कुरुते स्नानं त्रिरात्रोपोषितो नर: ।
स्नानमात्रेण मनुजो मुच्यते ब्रह्महत्यया ॥
मथुरा मण्डल में चक्र तीर्थ विख्यात है । जो व्यक्ति तीन दिन उपवास करके इस स्थान पर स्नान एवं ध्यान करेंगे वे व्यक्ति निश्चय ही ब्रह्महत्या से मुक्त हो जायेंगे । मथुरा मण्डल में यमुना तट पर स्थित यह तीर्थ सर्वत्र विख्यात है। निकट ही महाराज अम्बरीष का टीला है, जहाँ महाराज अम्बरीष यमुना के किनारे निवास कर शुद्धभक्ति के अंगों के द्वारा भगवद् आराधना करते थे। द्वादशी पारण के समय राजा अम्बरीष के प्रति महर्षि दुर्वासा के व्यवहार से असन्तुष्ट होकर विष्णु-चक्र ने इनका पीछा किया। दुर्वासा एक वर्ष तक विश्व ब्रह्मण्ड में सर्वत्र यहाँ तक कि ब्रह्मलोक, शिवलोक एवं वैकुण्ड लोक में गये, परन्तु चक्र ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। अन्त में भगवान् विष्णु के परामर्श से भक्त अम्बरीष के निकट लौटने पर उनकी प्रार्थना से चक्र यहीं रूक गया। इस प्रकार ऋषि के प्राणों की रक्षा हुई। यहाँ स्नान करने से ब्रह्म-हत्या आदि पापों से भी मुक्ति हो जाती है। तथा स्नान करने वाला सुदर्शन चक्र की कृपा से भगवद् दर्शन प्राप्त कर कृतार्थ हो जाता है।