णाय कुमार चरिउ: Difference between revisions

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Latest revision as of 13:42, 21 March 2014

  • महाकवि पुष्पदंत जैन साहित्य के अत्यंत प्रसिद्ध महाकवि थे।
  • इन्होंने अपने ग्रंथ 'णाय कुमार चरित' (नाग कुमार चरित) के अंत में अपने माता पिता का संकेत करते हुए सम्प्रदाय का भी उल्लेख किया है।[1]
  • णाय कुमार चरिउ (नाग कुमार चरित्र) ग्रंथ महामात्य नन्न की प्रेरणा से लिखा गया है।
  • यह एक खण्ड काव्य है, जिसमें नौ संधियाँ हैं।
  • पंचमी के उपवास का फल करने वाले नाग कुमार का चरित्र इसका विषय है।
  • प्रथम राष्ट्रकूट वंश के महाराजाधिराज कृष्णराज (तृतीय) के महामात्य भरत और दूसरे महामात्य भरत के पुत्र नन्न, जो आगे चल कर महामात्य नन्न हुए। इन्हीं दोनों के प्रोत्साहन से महाकवि पुष्पदंत ने अनेक ग्रंथों की रचना की।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. सिव भत्ताइं मि जिण सण्णासें वे वि मयाइं दुरियणिण्णासें। वंभणाइं कासवरिसि गोत्तइं गुरुवयणामिय पूरियसोत्तमं॥

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