रामायण सामान्य ज्ञान: Difference between revisions
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+[[अहल्या]] | +[[अहल्या]] | ||
-[[कुब्जा दासी|कुब्जा]] | -[[कुब्जा दासी|कुब्जा]] | ||
||अहल्या महर्षि [[गौतम]] की पत्नी थी। ये अत्यंत ही रूपवान तथा सुन्दरी थी। एक दिन गौतम की अनुपस्थिति में देवराज [[इन्द्र]] ने अहल्या से संभोग की इच्छा प्रकट की। यह जानकर कि इन्द्र उस पर मुग्ध हैं, अहल्या इस अनुचित कार्य के लिए तैयार हो गई। गौतम ने कुटिया से जाते हुए इन्द्र को देख लिया और उन्होंने अहल्या को पाषाण बन जाने का शाप दे दिया। [[त्रेता युग]] में श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ और पुन: वह पाषाण से ऋषि-पत्नी हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[अहल्या]] | |||
{[[परशुराम]] किसके पुत्र थे? | {[[परशुराम]] किसके पुत्र थे? | ||
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-[[अगस्त्य|अगस्त्य मुनि]] | -[[अगस्त्य|अगस्त्य मुनि]] | ||
+जमदग्नि | +[[जमदग्नि]] | ||
-ऋष्यश्रृंग | -ऋष्यश्रृंग | ||
-[[कात्यायन]] | -[[कात्यायन]] | ||
||[[जमदग्नि]] बहुत ही महान [[ऋषि]] थे, जिनका उल्लेख [[सप्तर्षि|सप्तऋषियों]] में किया जाता है। ये भृगुवंशी ऋचीक के पुत्र थे। जमदग्नि चार पुत्रों के [[पिता]] थे। इन्होंने अपने पुत्रों से माता [[रेणुका]] का शीश काटने के लिए कहा, किंतु उन्होंने इस कार्य को करने से इंकार कर दिया। इनकी आज्ञा पर ही इनके चौथे पुत्र [[परशुराम]] ने माता का शीश काट लिया। परशुराम स्वयं [[विष्णु]] के [[अवतार]] बताये गये हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[जमदग्नि]] | |||
{ब्रह्महत्या का पाप | {निम्नलिखित में से किसे ब्रह्महत्या का पाप लगा था? | ||
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-[[लक्ष्मण]] | -[[लक्ष्मण]] | ||
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-[[हनुमान]] | -[[हनुमान]] | ||
-[[सुग्रीव]] | -[[सुग्रीव]] | ||
||[[हिन्दू धर्म]] में | ||[[हिन्दू धर्म]] में [[राम]] [[विष्णु]] के दस [[अवतार|अवतारों]] में से एक हैं। राम का जीवनकाल एवं पराक्रम, महर्षि [[वाल्मीकि]] द्वारा रचित [[संस्कृत]] [[महाकाव्य]] [[रामायण]] के रूप में लिखा गया है। उनके उपर [[तुलसीदास]] ने भक्ति काव्य श्री [[रामचरितमानस]] रचा था। ख़ास तौर पर [[उत्तर भारत]] में राम बहुत अधिक पूज्यनीय माने जाते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[राम]] | ||
{संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया | {संजीवनी बूटी का रहस्य किस वैद्य ने बताया- | ||
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-[[अक्रूर]] | -[[अक्रूर]] | ||
- | -[[विभीषण]] | ||
-[[चरक]] | -[[चरक]] | ||
+[[सुषेण वैद्य|सुषेण]] | +[[सुषेण वैद्य|सुषेण]] | ||
{[[अहल्या]] के पति का नाम था? | |||
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+[[महर्षि गौतम|गौतम]] | |||
-[[विश्वामित्र]] | |||
-[[बृहस्पति ऋषि|बृहस्पति]] | |||
-[[वसिष्ठ]] | |||
||[[न्याय दर्शन]] के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। महाराज वृद्धाश्व की पुत्री [[अहिल्या]] इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी। [[त्रेता युग]] में भगवान श्री [[राम]] की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई। महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[महर्षि गौतम|गौतम]] | |||
{[[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है? | {[[हनुमान]] के पुत्र का क्या नाम है? | ||
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-[[जामवन्त]] | -[[जामवन्त]] | ||
+[[गरुड़]] | +[[गरुड़]] | ||
||[[चित्र:Garuda.jpg|right|120px|पक्षियों के राजा गरुड़]][[गरुड़]] [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और विनता के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को 'नागपाश' से बाँध लिया था, तब गरुड़ ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें- [[गरुड़]] | ||[[चित्र:Garuda.jpg|right|120px|पक्षियों के राजा गरुड़]][[गरुड़]] [[हिन्दू धर्म]] के अनुसार पक्षियों के राजा और भगवान [[विष्णु]] के वाहन हैं। ये [[कश्यप|कश्यप ऋषि]] और विनता के पुत्र तथा [[अरुण देवता|अरुण]] के भ्राता हैं। [[लंका]] के राजा [[रावण]] के पुत्र [[इन्द्रजित]] ने जब युद्ध में [[राम]] और [[लक्ष्मण]] को 'नागपाश' से बाँध लिया था, तब गरुड़ ने ही उन्हें इस बंधन से मुक्त किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गरुड़]] | ||
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Revision as of 09:23, 24 March 2012
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