शेखावाटी: Difference between revisions

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'''शेखावाटी''' उत्तरी [[राजस्थान]] का अर्ध-मरुभूमी वाला प्रदेश है। यह [[दिल्ली]]-[[बीकानेर]]-[[जयपुर]] द्वारा निर्मित त्रिकोण में बसा हुआ है। इसका शेखावटी नाम यहाँ के शासक 'राव शेखा' से रखा गया है। शेखावटी का मतलब है- 'शेखा का बगीचा'। इस प्रदेश के गाँव अपनी बेहतरीन रंगी हुई हवेलीयों के लिये जाने जाते हैं। यह हवेलियाँ इतनी भिन्न तथा [[वास्तुकला]] में समृद्ध हैं कि इस प्रदेश को "राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी" कहा जाता है।
'''शेखावाटी''' उत्तरी [[राजस्थान]] का अर्ध-मरुभूमी वाला प्रदेश है। यह [[दिल्ली]]-[[बीकानेर]]-[[जयपुर]] द्वारा निर्मित त्रिकोण में बसा हुआ है। इसका शेखावटी नाम यहाँ के शासक 'राव शेखा' के नाम से रखा गया है। शेखावटी का मतलब है- 'शेखा का बगीचा'। इस प्रदेश के गाँव अपनी बेहतरीन रंगी हुई हवेलियों के लिये जाने जाते हैं। यह हवेलियाँ इतनी भिन्न तथा [[वास्तुकला]] में समृद्ध हैं कि इस प्रदेश को "राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी" कहा जाता है।
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==इतिहास==
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Revision as of 08:21, 24 December 2012

शेखावाटी उत्तरी राजस्थान का अर्ध-मरुभूमी वाला प्रदेश है। यह दिल्ली-बीकानेर-जयपुर द्वारा निर्मित त्रिकोण में बसा हुआ है। इसका शेखावटी नाम यहाँ के शासक 'राव शेखा' के नाम से रखा गया है। शेखावटी का मतलब है- 'शेखा का बगीचा'। इस प्रदेश के गाँव अपनी बेहतरीन रंगी हुई हवेलियों के लिये जाने जाते हैं। यह हवेलियाँ इतनी भिन्न तथा वास्तुकला में समृद्ध हैं कि इस प्रदेश को "राजस्थान की ओपन आर्ट गैलरी" कहा जाता है।

इतिहास

इस ऐतिहासिक प्रदेश पर देश की आज़ादी से पूर्व शेखावत क्षत्रियों का शासन होने के कारण इसका नाम शेखावाटी प्रचलन में आया। देशी राज्यों के भारतीय संघ में विलय से पूर्व मनोहरपुर, शाहपुरा, खंडेला, सीकर, खेतडी, बिसाऊ, सुरजगढ, नवलगढ़, मुकन्दगढ़, दांता, खाचरियाबास, अलसीसर, लक्ष्मणगढ, बीदसर आदि बड़े-बड़े प्रभावशाली संस्थान शेखा जी के वंशधरों के अधिकार में थे। वर्तमान शेखावाटी क्षेत्र पर्यटन और शिक्षा के क्षेत्र में विश्व मानचित्र पर बड़ी तेज़ी से उभरा है। यहाँ पिलानी और लक्ष्मणगढ के भारत प्रसिद्ध शिक्षा केंद्र भी हैं।

हवेलियाँ

शेखावाटी में रंग-बिरंगी हवेलियों का समूह कलात्मक परम्परा में अदभुत लगता है। यहाँ की ज्यादातर इमारतें अठारहवी शताब्दी से लेकर बीसवीं शताब्दी के आरंभ तक की है। शेखावटी प्रदेश में इतनी सारी हवेलीयाँ हैं की इनमें से गुजरना मानो किसी खजाने की खोज लेने जैसा लगता है। इनकी दीवारों तथा छतों पर महीन कला के विभिन्न प्रकार हैं, जो इन इमारतों को बाकी समतल तथा विरान भूमि से आगे अलग बना देते है। इन हवेलियों में पुराण कालीन चित्र तथा बड़े प्राणियों की आकृतियाँ बनायी गई हैं। बाद में बने कुछ चित्रों पर भाप के इंजन तथा रेलगाडीयाँ हैं, जो ब्रिटिशों की छाप दिखती है।[1]शेखावाटी की हवेलियाँ अपनी विशालता और भित्ति चित्रकारी के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। इन्हें देखने के लिए साल भर देशी-विदेशी पर्यटकों का ताँता लगा रहता है।

पर्यटन स्थल

पहाडों में सुरम्य स्थानों पर बने 'जीण माता मंदिर', 'शाकम्बरी देवी का मन्दिर', खाटू में 'बाबा खाटूश्यामजी का मन्दिर' और सालासर में हनुमान का मन्दिर आदि स्थान धार्मिक आस्था के ऐसे केंद्र हैं, जहाँ दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन करने को आते हैं। शेखावाटी प्रदेश ने जहाँ देश के लिए अपने प्राणों को बलिदान करने वाले देशप्रेमी दिए, वहीं उद्योगों व व्यापार को बढ़ाने वाले सैकड़ों उद्योगपति व व्यापारी भी दिए हैं। जिन्होंने अपने उद्योगों से लाखों लोगों को रोजगार देकर देश की अर्थव्यवस्था में अपना योगदान दिया। भारतीय सेना को सबसे अधिक सैनिक देने वाला झुंझुनू ज़िला शेखावाटी क्षेत्र का ही एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. राजस्थान पर्यटन (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख