प्रेम धवन: Difference between revisions

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==जीवन परिचय==
==जीवन परिचय==
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==कॅरियर==
==कॅरियर==
प्रेम धवन आगे चलकर [[कांग्रेस]] पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक [[नृत्य]] और [[संगीत]] का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फिल्म ‘[[नया दौर]]’ का उड़े जब-जब जुल्फें तेरी- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फिल्म ‘[[दो बीघा ज़मीन]]’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब थिएटर ग्रुप असमय ही बिखरा, तो लेखिका [[इस्मत चुगताई]] बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फिल्म ‘जिद्‍दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका [[लता मंगेशकर]] का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फिल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार [[अनिल बिस्वास]], [[सलिल चौधरी]], [[मदन मोहन]] और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आखिरी बार प्रेम ने फिल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।<ref name="wdh">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE-%E0%A4%A7%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%82/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%87%E0%A4%AE-%E0%A4%A7%E0%A4%B5%E0%A4%A8-%E0%A4%89%E0%A4%A1%E0%A4%BC%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%9C%E0%A4%AC-%E0%A4%9C%E0%A4%AC-%E0%A4%9C%E0%A5%81%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%AB%E0%A5%87%E0%A4%82-%E0%A4%A4%E0%A5%87%E0%A4%B0%E0%A5%80-1080507018_1.htm |title=प्रेम धवन : उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी  |accessmonthday=4 जनवरी |accessyear=2014 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=वेबदुनिया हिंदी |language= हिंदी}} </ref>
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==लेखन शैली==
प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फिल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फिल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक [[अशोक कुमार]] को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-
<blockquote><poem>
सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
ले-ले के हार फूलों का आई तो थी बहार
नजरें उठा के हमने ही देखा न एक बार...
आँखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया।<ref name="wdh"/>
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==लोकप्रिय गीत==
==लोकप्रिय गीत==
* बोल पपीहे बोल रे (आरजू)
* बोल पपीहे बोल रे (आरजू)
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* दिन हो या रात हम रहें तेरे साथ (मिस बॉम्बे)
* दिन हो या रात हम रहें तेरे साथ (मिस बॉम्बे)
* जिंदगी भर गम जुदाई का (मिस बॉम्बे)
* जिंदगी भर गम जुदाई का (मिस बॉम्बे)
* छोड़ो कल की बातें (हम हिन्दुस्तानी)
* [[छोड़ो कल की बातें]] (हम हिन्दुस्तानी)
* अँखियन संग अँखियाँ लागी (बड़ा आदमी)
* अँखियन संग अँखियाँ लागी (बड़ा आदमी)
* ऐ मेरे प्यारे वतन (काबुलीवाला)
* [[ऐ मेरे प्यारे वतन]] (काबुलीवाला)
* तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर (जबक)
* तेरी दुनिया से दूर चले हो के मजबूर (जबक)
* महलों ने छीन लिया बचपन का (जबक)
* महलों ने छीन लिया बचपन का (जबक)
* ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम (शहीद)
* [[ऐ वतन ऐ वतन|ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम]] ([[शहीद (1948 फ़िल्म)|शहीद]])
* मेरा रंग दे बसंती चोला (शहीद)
* [[मेरा रंग दे बसंती चोला]] ([[शहीद (1948 फ़िल्म)|शहीद]])
* तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला (पवित्र पापी)
* तेरी दुनिया से हो के मजबूर चला (पवित्र पापी)
==लेखन शैली==
प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फिल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फिल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक [[अशोक कुमार]] को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-
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सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
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==निधन==
==निधन==
[[7 मई]], [[2001]] को [[मुंबई]] के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हृदयाघात (हार्ट अटैक) में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।  
[[7 मई]], [[2001]] को [[मुंबई]] के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हृदयाघात (हार्ट अटैक) में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।  

Revision as of 12:58, 4 January 2014

प्रेम धवन
पूरा नाम प्रेम धवन
जन्म 13 जून, 1923
जन्म भूमि अम्बाला, पंजाब
मृत्यु 7 मई, 2001
मृत्यु स्थान मुंबई, महाराष्ट्र
कर्म-क्षेत्र गीतकार, संगीतकार, नृत्य निर्देशक
मुख्य रचनाएँ चंदा मामा दूर के, ऐ मेरे प्यारे वतन, छोड़ो कल की बातें, ऐ वतन, ऐ वतन, हमको तेरी कसम, मेरा रंग दे बसंती चोला आदि
मुख्य फ़िल्में रात के अंधेरे में (1969), पवित्र पापी (1970), नया दौर, जिद्‍दी, शहीद
शिक्षा स्नातक
विद्यालय एफ़सी कॉलेज, लाहौर
पुरस्कार-उपाधि पद्मश्री
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे।

प्रेम धवन (अंग्रेज़ी:Prem Dhawan, जन्म: 13 जून, 1923 - मृत्यु: 7 मई, 2001) हिंदी सिनेमा जगत के मशहूर गीतकार थे। इन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये कई मशहूर गीत लिखे। प्रेम धवन ना केवल गीतकार थे, वरन इन्होंने हिन्दी फिल्मों के लिये कुछ फिल्मों में संगीत भी दिया, नृत्य निर्देशन भी किया और अभिनय भी किया। प्रेम धवन ने पंरवि शंकर से संगीत एवं पंडित उदय शंकर से नृत्य की शिक्षा ली। भारत सरकार ने प्रेम धवन को 1970 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया।

जीवन परिचय

हिन्दी फिल्मों के मशहूर गीतकार प्रेम धवन का जन्म 13 जून 1923 को अम्बाला में हुआ और लाहौर के एफ़सी कॉलेज से स्नातक की शिक्षा पूरी की। मशहूर गीतकार साहिर लुधियानवी इनके सहपाठी थे और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल सीनियर छात्र थे। साहिर लुधियानवी और प्रेम धवन यूनियन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे। कॉलेज की पत्रिका में दोनों ने जमकर लिखा। साहिर लुधियानवी ग़ज़ल रचते थे और प्रेम धवन, गीत लिखते थे।[1]

कॅरियर

प्रेम धवन आगे चलकर कांग्रेस पार्टी से भी जुड़े। शिक्षा के बाद ‘पीपुल्स थियेटर ग्रुप’ में शामिल हुए। जिसके द्वारा चार वर्षों तक नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण लिया। कम लोग जानते हैं कि प्रेम धवन ने लगभग 50 फिल्मों में नृत्य निर्देशन किया। फिल्म ‘नया दौर’ का उड़े जब-जब जुल्फें तेरी- प्रेम धवन के ही निर्देशन का कमाल था। फिल्म ‘दो बीघा ज़मीन’ के गीत ‘हरियाला सावन ढोल बजाता आया’ में तो प्रेम थिरके भी हैं। जब थिएटर ग्रुप असमय ही बिखरा, तो लेखिका इस्मत चुगताई बॉम्बे टॉकीज ले गईं। जहाँ फिल्म ‘जिद्‍दी’ के लिए पहला ब्रेक मिला। गायिका लता मंगेशकर का ‘चंदा जा रे जा रे...’ पहला हिट इसी फिल्म में था। यहाँ से बॉम्बे टॉकीज ने गीत लेखन और नृत्य निर्देशन के लिए उन्हें अनुबंधित कर लिया। अनुबंध के बाद जब स्वतंत्र लेखन किया, तब संगीतकार अनिल बिस्वास, सलिल चौधरी, मदन मोहन और चित्रगुप्त के साथ अच्छा तालमेल रहा। आखिरी बार प्रेम ने फिल्म ‘अप्पूराजा’ के लिए लिखा।[1]

लोकप्रिय गीत

लेखन शैली

प्रेम धवन भावुक इतने थे कि अपनी लोरी ‘तुझे सूरज कहूँ या चंदा...मेरा नाम करेगा रोशन’ को रचते हुए कई बार रो पड़े। फिल्म के किरदार को शिद्दत से महसूस करने के बाद वे लिखते थे। फिल्म ‘एक साल’ में नायिका, नायक अशोक कुमार को चाहती है। जब नायक महसूस करता है और लौटकर आता है तब वह कैंसर की मरीज होकर मृत्युशैया पर है। इसे अपने दिल की गहराई में उतारकर उन्होंने रचा-

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया
दिन में अगर चिराग जलाए तो क्या किया
ले-ले के हार फूलों का आई तो थी बहार
नजरें उठा के हमने ही देखा न एक बार...
आँखों से अब ये पर्दे हटाए तो क्या किया।[1]

निधन

7 मई, 2001 को मुंबई के जसलोक अस्पताल में प्रेम धवन हृदयाघात (हार्ट अटैक) में चल बसे। दिल को छू लेने वाले गीतों में प्रेम की याद हमेशा बनी रहेगी।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 1.2 प्रेम धवन : उड़ें जब-जब जुल्फें तेरी (हिंदी) वेबदुनिया हिंदी। अभिगमन तिथि: 4 जनवरी, 2014।

बाहरी कड़ियाँ

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