नाथ कोसलाधीस कुमारा: Difference between revisions

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नाथ कोसलाधीस कुमारा। आए मिलन जगत आधारा॥
नाथ कोसलाधीस कुमारा। आए मिलन जगत् आधारा॥
राम अनुज समेत बैदेही। निसि दिनु देव जपत हहु जेही॥4॥
राम अनुज समेत बैदेही। निसि दिनु देव जपत हहु जेही॥4॥
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Latest revision as of 13:46, 30 June 2017

नाथ कोसलाधीस कुमारा
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड अरण्यकाण्ड
चौपाई

नाथ कोसलाधीस कुमारा। आए मिलन जगत् आधारा॥
राम अनुज समेत बैदेही। निसि दिनु देव जपत हहु जेही॥4॥

भावार्थ

हे नाथ! अयोध्या के राजा दशरथजी के कुमार जगदाधार श्री रामचंद्रजी छोटे भाई लक्ष्मणजी और सीताजी सहित आपसे मिलने आए हैं, जिनका हे देव! आप रात-दिन जप करते रहते हैं॥4॥



left|30px|link=पंथ कहत निज भगति अनूपा|पीछे जाएँ नाथ कोसलाधीस कुमारा right|30px|link=सुनत अगस्ति तुरत उठि धाए|आगे जाएँ


चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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