सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
सपना वर्मा (talk | contribs) ('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replacement - " दुख " to " दु:ख ") |
||
Line 32: | Line 32: | ||
<poem> | <poem> | ||
;चौपाई | ;चौपाई | ||
सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी। | सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी। दु:ख दंपतिहि उमा हरषानी॥ | ||
नारदहूँ यह भेदु न जाना। दसा एक समुझब बिलगाना॥1॥ | नारदहूँ यह भेदु न जाना। दसा एक समुझब बिलगाना॥1॥ | ||
</poem> | </poem> |
Latest revision as of 14:00, 2 June 2017
सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी
| |
कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
भाषा | अवधी भाषा |
शैली | सोरठा, चौपाई, छंद और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | बालकाण्ड |
सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी। दु:ख दंपतिहि उमा हरषानी॥ |
- भावार्थ-
नारद मुनि की वाणी सुनकर और उसको हृदय में सत्य जानकर पति-पत्नी (हिमवान् और मैना) को दुःख हुआ और पार्वती जी प्रसन्न हुईं। नारद जी ने भी इस रहस्य को नहीं जाना, क्योंकि सबकी बाहरी दशा एक सी होने पर भी भीतरी समझ भिन्न-भिन्न थी॥1॥
left|30px|link=जोगी जटिल अकाम|पीछे जाएँ | सुनि मुनि गिरा सत्य जियँ जानी | right|30px|link=सकल सखीं गिरिजा गिरि मैना|आगे जाएँ |
चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख