हम सब सेवक अति बड़भागी: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{सूचना बक्सा पुस्तक |चित्र=Sri-ramcharitmanas.jpg |चित्र का नाम=रा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
No edit summary
Line 37: Line 37:
{{poemclose}}
{{poemclose}}
;भावार्थ
;भावार्थ
हम सब सेवक अत्यंत बड़भागी हैं, जो निरंतर सगुण ब्रह्म (श्री रामजी) में प्रीति रखते हैं॥7॥
हम सब सेवक अत्यंत बड़भागी हैं, जो निरंतर सगुण ब्रह्म ([[राम|श्री रामजी]]) में प्रीति रखते हैं॥7॥
{{लेख क्रम4| पिछला=जामवंत अंगद दुख देखी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=निज इच्छाँ प्रभु अवतरइ}}
{{लेख क्रम4| पिछला=जामवंत अंगद दुख देखी |मुख्य शीर्षक=रामचरितमानस |अगला=निज इच्छाँ प्रभु अवतरइ}}



Revision as of 09:36, 27 May 2016

हम सब सेवक अति बड़भागी
कवि गोस्वामी तुलसीदास
मूल शीर्षक रामचरितमानस
मुख्य पात्र राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि
प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर
शैली सोरठा, चौपाई, छन्द और दोहा
संबंधित लेख दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा
काण्ड किष्किंधा काण्ड
चौपाई

हम सब सेवक अति बड़भागी। संतत सगुन ब्रह्म अनुरागी॥7॥

भावार्थ

हम सब सेवक अत्यंत बड़भागी हैं, जो निरंतर सगुण ब्रह्म (श्री रामजी) में प्रीति रखते हैं॥7॥


left|30px|link=जामवंत अंगद दुख देखी|पीछे जाएँ हम सब सेवक अति बड़भागी right|30px|link=निज इच्छाँ प्रभु अवतरइ|आगे जाएँ

चौपाई- मात्रिक सम छन्द का भेद है। प्राकृत तथा अपभ्रंश के 16 मात्रा के वर्णनात्मक छन्दों के आधार पर विकसित हिन्दी का सर्वप्रिय और अपना छन्द है। गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में चौपाई छन्द का बहुत अच्छा निर्वाह किया है। चौपाई में चार चरण होते हैं, प्रत्येक चरण में 16-16 मात्राएँ होती हैं तथा अन्त में गुरु होता है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख