स्यामल गौर किसोर: Difference between revisions
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Latest revision as of 04:55, 22 June 2016
स्यामल गौर किसोर
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कवि | गोस्वामी तुलसीदास |
मूल शीर्षक | रामचरितमानस |
मुख्य पात्र | राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, रावण आदि |
प्रकाशक | गीता प्रेस गोरखपुर |
शैली | चौपाई, सोरठा, छन्द और दोहा |
संबंधित लेख | दोहावली, कवितावली, गीतावली, विनय पत्रिका, हनुमान चालीसा |
काण्ड | अयोध्या काण्ड |
- मासपारायण, सोलहवाँ विश्राम
- नवाह्नपारायण, चौथा विश्राम
स्यामल गौर किसोर बर सुंदर सुषमा ऐन। |
- भावार्थ
श्याम और गौर वर्ण है, सुंदर किशोर अवस्था है, दोनों ही परम सुंदर और शोभा के धाम हैं। शरद पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान इनके मुख और शरद ऋतु के कमल के समान इनके नेत्र हैं॥116॥
left|30px|link=स्वामिनि अबिनय छमबि हमारी|पीछे जाएँ | स्यामल गौर किसोर | right|30px|link=कोटि मनोज लजावनिहारे|आगे जाएँ |
दोहा - मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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